कोरोना संकट ने बदली डॉक्टरों की दिनचर्या
कोरोना वायरस के खतरे के बीच 96 दिनों का समय बीत चुका है। कोरोना संकट ने डॉक्टरों की जीवन शैली में कोरोना महामारी ने बड़ा बदलाव ला दिया है।
संवाद सहयोगी, रूपनगर : कोरोना वायरस के खतरे के बीच 96 दिनों का समय बीत चुका है। कोरोना संकट ने डॉक्टरों की जीवन शैली में कोरोना महामारी ने बड़ा बदलाव ला दिया है। लगभग हर डॉक्टर अपने परिवारों से दूरी बनाकर रखने को मजबूर हो चुका है जबकि उनकी दिनचर्या में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है।
रूपनगर जिले के सिविल सर्जन डॉ. एचएन शर्मा की अगर बात करें तो उन्हें इस कोरोना संकट काल में कंप्यूटर की भांति काम करते देखा जा सकता है। बकौल डॉ. शर्मा ड्यूटी की बात करें तो आम दिनों में तो आठ घंटे ड्यूटी रहती है लेकिन कोरोना संकट दौरान वे हर दिन 12 से 14 घंटे ड्यूटी दे रहे हैं। सुबह अगर रूपनगर में हैं तो दोपहर आनंदपुर साहिब, नूरपुरबेदी व कीरतपुर साहिब में पहुंच जाते हैं जबकि शाम को नंगल का दौरा करने के बाद दोबारा रूपनगर अपने दफ्तर में पहुंच पूरे दिन की रिपोर्ट सरकार सहित जिला प्रशासन व प्रेस को उपलब्ध करवाते हैं। डॉ. शर्मा बताते हैं कि उनकी अपने परिवार से भेंट मात्र औपचारिक ही हो पाती है जबकि ज्यादातर उनका खाना, जरूरत का सामान व कपड़े आदि उनका गाड़ी में ही होते हैं। डॉ. शर्मा का कहना है कि कोरोना संकट ने उनकी जीवनशैली को बदल कर रख दिया है जिसके चलते शरीर को कायम रखने के लिए रोजाना सैर करना, पौष्टिक एवं हल्का व ताजा आहार लेना रोज की आदत में शामिल हो चुका है। उन्होंने कहा कि 12 से 14 घंटे तनाव देने वाली ड्यूटी कर थकान तो होती है लेकिन रोजाना की सैर, हल्का व्यायाम व मेडीटेशन बड़ी राहत देती है जोकि अब जिदगी का हिस्सा बन चुकी है।
छह घंटे दिन में करते हैं आराम
सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ. पवन कुमार के अनुसार सुबह से लेकर शाम तक अपने दफ्तर में ड्यूटी के साथ साथ पूरे अस्पताल की मैनेजमेंट करने के अलावा इमरजेंसी सेवाओं को सुचारू रखने के चक्कर में पिछले तीन माह से वे परिवार से दूर हो गए हैं। उनके अनुसार घर परिवार व अपने खुद के स्वास्थ्य की की परवाह किए बगैर अपने दायित्व को प्राथमिकता देना उनके स्वभाव का हिस्सा बनकर रह गया है। उनके अनुसार वो 24 घंटे में मात्र छह घंटे नींद ले पाते हैं व बार बार इमरजेंसी जाकर स्थित जानने की आदत बन गई है।