छठ पूजा आज, नंगल के बाजार सजे
ंगल नंगल क्षेत्र में उत्तर प्रदेश तथा बिहार के बंधुओं की अगाध आस्था के छठ पूजा पर्व की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। बाजारों में विधिवत पूजा में प्रयोग होने वाली आवश्यक सामग्री खरीदने के लिए लोगों का सैलाब उमड़ा हुआ है।
जासं, नंगल
नंगल क्षेत्र में उत्तर प्रदेश तथा बिहार के बंधुओं की अगाध आस्था के छठ पूजा पर्व की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। बाजारों में विधिवत पूजा में प्रयोग होने वाली आवश्यक सामग्री खरीदने के लिए लोगों का सैलाब उमड़ा हुआ है। शहर की अड्डा मार्केट में छठ पूजा के लिए प्रयोग की जाने वाली सामग्री की सजी दुकानों पर पूजा अर्चना करने वाले भक्तजन पहुंचने शुरू हो गए हैं। छठ पूजा का आकर्षण देखते ही बन रहा है। पूजा सामग्री खरीदने में भक्तजन पूरी श्रद्धा से जुटे हुए हैं। बता दें कि यहां नंगल डैम के निकट बाबा ऊधो मंदिर के स्नान घाट के निकट हर वर्ष छठ पर्व धूमधाम से मनाया जाता है जिसमें भारी संख्या में भक्तजन सुबह-शाम पूजा अर्चना के अनुष्ठानों से छठी मइया की पूजा करते हैं। अड्डा मार्केट के दुकानदार तरलोक चंद, संजय कुमार ने बताया कि उनके यहां छठ पूजा में प्रयोग होने वाली लगभग पूरी सामग्री उपलब्ध है। पूजा के लिए प्रयोग की जाने वाली सामग्री में शामिल नारियल, हल्दी, बांस की टोकरी, गंगा जल, जनेऊ, मौली, केसर, देसी घी, परफ्यूम, चकोतरा, सीताफल, सिंघाड़ा, सूतली व मिठाई सहित कई तरह का सामान पूरी पवित्रता के साथ विक्री के लिए सजा दिया गया है। पूजा की तैयारियों में जुटे सुमेर चंद, राज कुमार, सुनील, सुबोध, आरके प्रसाद, लक्ष्मण प्रसाद, ठेकेदार ह¨रदर शाह, दीपक कुमार, वशिष्ठ तिवारी ने बताया कि डेरा बाबा ऊधो मंदिर के साथ दरिया के घाट पर पूजा की तैयारियां शुरू की जा चुकी हैं। छठी मइया की पूजा के प्रति भक्तजनों में भारी उत्साह पाया जा रहा है। भक्तजन भारी संख्या में 13 नवंबर मंगलवार को सारा दिन व्रत रख कर पूजा करेंगे। स र्योदय से पहले स्नान को उमड़ता है भक्तों का सैलाब छठ पूजा को विश्राम देने के समय प्रात:काल सूर्योदय से पहले यहां नंगल डैम से निकलते सतलुज दरिया के बाबा ऊधो घाट पर बर्फीले पानी में नहाने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ आता है। पटाखे फोड़ कर पूजा करके सुख समृद्धि की कामना की जाती है। साथ ही बांटा जाता है वह पावन प्रसाद जिसे व्रत खोलने के समय पूजा अर्चना से पवित्र किया गया होता है। इससे पहले वे भक्तजन प्रात: 3 बजे से ही दरिया के पानी में खड़े होकर पूजा शुरू कर देते हैं जिनकी मनोकामनाएं पूरी हुई होती हैं। छठ पूजा के लिए फूल, फल, सब्जी व अन्य सामग्री से भरी बांस की टोकरी सिर पर रख कर घाट तक ले जाने को सौभाग्य माना जाता है।
36 घंटे तक रखा जाता है निर्जल उपवास
ए सा माना जाता है कि लंका पर विजय के बाद 14 वर्ष का वनवास काट कर जब प्रभु श्रीराम वापस अयोध्या लौटे थे तब राम के राज्याभिषेक के समय राम राज्य की स्थापना का संकल्प लेने के लिए प्रभु श्री राम व माता सीता ने कार्तिक शुक्ल छठी को उपवास रख कर प्रत्यक्ष भगवान सूर्य देव की अराधना की थी। सप्तमीं के दिन सूर्योदय पर अपने अनुष्ठान को पूरा करके प्रभु से राम राज्य की स्थापना का आशीर्वाद प्राप्त किया था। तब से ही यह पर्व छठ पूजा करके मनाया जाता है। 24 घंटे पवित्र रह कर उपवास से छठी को अस्तांचल सूर्य की पूजा की जाता है। 36 घंटे के निर्जल उपवास के बाद सूर्योदय के समय अघर्य देने के बाद यह पर्व पूर्ण होता है। गौरतलब है कि छठ पूजा का पर्व पूर्ण पवित्रता से मनाया जाता है। इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाता है कि घरों में पूजा स्थलों को इस कद्र शुद्धता से परिपूर्ण रखा जाए जिससे व्रत का पूरा फल साधक को मिल सके।