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कैप्टन विवादित जमीन पर रखेंगे टेक्निकल यूनिवर्सिटी का नींव पत्थर, कोर्ट में है केस

पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिेंदर सिंह विवादित जमीन पर टेक्निकल यूनिवर्सिटी का शिलान्‍यास करेंगे। इस जमीन का मामला कोर्ट में लंबित होेने की बात कही जा रही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 06 Mar 2019 10:23 AM (IST)Updated: Wed, 06 Mar 2019 10:23 AM (IST)
कैप्टन विवादित जमीन पर रखेंगे टेक्निकल यूनिवर्सिटी का नींव पत्थर, कोर्ट में है केस
कैप्टन विवादित जमीन पर रखेंगे टेक्निकल यूनिवर्सिटी का नींव पत्थर, कोर्ट में है केस

रूपनगर, [ अजय अग्निहोत्री]। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह चमकौर साहिब में टेक्निकल यूनिवर्सिटी का नींव पत्थर रखेंगे। मुख्यमंत्री के आगमन से ठीक एक दिन सामने आया कि जिस जमीन पर नींव पत्थर रखा जाएगा वह विवादित है। जमीन के मालिकाना हक का मामला अदालत में विचाराधीन है। अदालत ने फैसला आने तक इस जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं।

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ये आदेश सिविल जज सीनियर डिवीजन रूपनगर की ओर से 22 दिसंबर 2016 को जारी किए गए थे। वहीं नगर पंचायत चमकौर साहिब ने इसी जमीन (खेवट नंबर 1361/1315, खतौनी नंबर 1459) की रजिस्ट्री आइके गुजराल पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी कपूरथला के नाम करते हुए इंतकाल (नंबर-6715) दर्ज करवा दिया है।

चरागाह की 42 एकड़ जमीन नगर पंचायत ने यूनिवर्सिटी के नाम करवाई

चमकौर साहिब के नरिंदर कुमार और जसविंदर सिंह ने बताया कि चमकौर साहिब में करीब 42 एकड़ जमीन चरांद (चरागाह) की जमीन है। इस जमीन का स्टेटस नहीं बदला जा सकता है। नगर पंचायत इसकी कोशिश करती रही है जिसका वे विरोध करते आए हैं। रूपनगर अदालत में बुधवार को इस मामले की सुनवाई भी है।

 

जमीन के मामले को लेकर कागजात दिखाते लोग।

उन्‍होंने कहा कि प्रशासन और सरकार धक्केशाही कर रहे हैं। उन्हें तो अब पुलिस से धमकियां भी दिलवाई जा रही हैं। नगर पंचायत चमकौर साहिब के प्रधान शमशेर सिंह भंगू का कहना है कि कोर्ट केस तो है लेकिन जमीन की मालिक नगर पंचायत है। पंचायत के नाम इंतकाल और रजिस्ट्री है। इसीलिए सरकार इसी जमीन को इस्तेमाल कर रही है।
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स्टेटस-को में रजिस्ट्री करवाना गैरकानूनी : एडवोकेट सहगल
एडवोकेट हरप्रीत सिंह सहगल का कहना है कि ये केस अभी गवाहियों पर है। इसमें स्टेटस-को है। ये जमीन फर्द में चरांद (चरागाह) है। कोर्ट ने इस मामले में 1990 में भी क्लाइंट के पक्ष में फैसला दिया था कि इस जमीन की प्रकृति नहीं बदली जा सकती। स्टेटस-को में होने के बावजूद रजिस्ट्री करवाना गैरकानूनी है।
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'' यह मामला मेरे ध्यान में पहली बार आया है। हालांकि यूनिवर्सिटी लोकहित का काम है। इस मामले में जांच के बिना कुछ स्पष्ट कहा नहीं जा सकता।
                                                                                                - डॉ. सुमीत जारंगल, डीसी रूपनगर।


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