कर्म का नहीं, कामनाओं का करें त्याग
जीवन के अनमोल पलों को सुखी बनाने के लिए गृहस्थ जीव को ढाई घंटे प्रभु सुमरन का जाप करना चाहिए।
संवाद सहयोगी, नूरपुरबेदी
जीवन के अनमोल पलों को सुखी बनाने के लिए गृहस्थ जीव को दिन-रात में ढाई घंटे प्रभु सुमरन का जाप करना चाहिए। संसार की आग से संतप्त जीव के लिए सत्संग शीतल छाया की तरह है। प्रभु से नाता जोड़े बिना जीवन कृतार्थ नहीं होता। ईश्वर में दृढ़ निष्ठा से कठिन कार्य भी सरल हो जाते हैं। ये प्रवचन गांव बड़ीवाल में आयोजित साप्ताहिक कथा दौरान पंडित नीलकंठ जी हिमाचल प्रदेश वालों ने किए। उन्होंने कहा कि जीवन में जो प्राप्त नहीं है, उसके लिए दुखी नहीं होना चाहिए। जो प्रभु ने दिया है, उसे पाकर खुश रहो। हमें कर्म का नहीं बल्कि अपनी कामनाओं का त्याग करना है। उन्होंने कहा कि हमें स्वर्ग जाने का नहीं, बल्कि इस धरती को ही स्वर्ग बनाने का संकल्प लेना है। पंडित ने कहा कि परमात्मा सबका भला करते हैं। अगर हमारी नजर ठीक होगी, तो नजारा स्वत: ही ठीक हो जाएगा। उन्होंने कहा कि फूल तो थोड़ी दूर तक सुगंध फैलाते हैं, पर विचारों के गुलाब तो दूर-दूर तक अंतकरण से लेकर सारी दुनिया को सुगंध से भर देते हैं। स्वयं को जान लेना ही आनंद की सबसे बड़ी कुंजी है। जिस दिन व्यक्ति स्वयं को जान लेता है, वह सुख-दुख, हानि-लाभ, मान-अपमान, जीवन-मृत्यु के फंदे से परे हो जाता है। उन्होंने कहा कि हम ईश्वर की ओर पीठ किए खड़े हैं, इसीलिए सामने अंधेरा है। उनकी ओर मुंह कर लेने से जीवन का अंधकार विदा हो जाता है। इस मौके उन्होंने कुछ भजन गाकर भी संगत को निहाल किया। इस दौरान राज कुमार, अश्वनी कुमार रमेश कुमार, पवन कुमार, किरना देवी, रेनू शर्मा व नीरज शर्मा सहित अन्य संगत भी उपस्थित थी।