ओवरलो¨डग ने तोड़ीं रूपनगर की सड़कें, अब तक 48 गंवा चुके जान
रूपनगर जिले के अंदर अवैध रूप से चलने वाले टिप्परों के माध्यम से सरेआम रेत व बजरी की ओवरलोडेड ढुलाई जहां जारी है, वहीं ट्रक व ट्राले भी ओवरलो¨डग में किसी से पीछे नहीं हैं। हालांकि जिला प्रशासन ने अवैध माइ¨नग व ओवर लो¨डग पर पूरी तरह से रोक लगाई हुई है, लेकिन रोक की परवाह किए बगैर उक्त गोरखधंधा लगातार जारी है। आए दिन अवैध रूप से ढुलाई करने वाले टिप्परों व ट्रकों के कारण हादसे हो रहे हैं व सड़कें टूट रही हैं, लोग रोष जता रहे हैं, लेकिन ओवरलोडेड ढुलाई थमने का नाम नहीं ले रही है।
अरुण कुमार पुरी, रूपनगर
जिले के अंदर अवैध रूप से चलने वाले टिप्परों के माध्यम से सरेआम रेत व बजरी की ओवरलोडेड ढुलाई जहां जारी है, वहीं ट्रक व ट्राले भी ओवरलो¨डग में किसी से पीछे नहीं हैं। हालांकि जिला प्रशासन ने अवैध माइ¨नग व ओवर लो¨डग पर पूरी तरह से रोक लगाई हुई है, लेकिन रोक की परवाह किए बगैर उक्त गोरखधंधा लगातार जारी है। आए दिन अवैध रूप से ढुलाई करने वाले टिप्परों व ट्रकों के कारण हादसे हो रहे हैं व सड़कें टूट रही हैं, लोग रोष जता रहे हैं, लेकिन ओवरलोडेड ढुलाई थमने का नाम नहीं ले रही है। रूपनगर जिले के अंदर तो विभिन्न नहरों व खड्डों पर बने पुलों पर भी ओवरलोडेड वाहनों के कारण खतरा मंडराता रहता है।
रूपनगर जिले के अंदर वर्तमान जिला मजिस्ट्रेट डॉ. सुमित जारंगल सहित अब तक जितने भी जिला मजिस्ट्रेट रहे हैं , उन्होंने जहां अवैध माइ¨नग पर रोक लगा रखी है, वहीं ओवरलो¨डग पर भी रोक है लेकिन यह गोरखधंधा लगातार जारी है। रेत व बजरी के ओवरलोडेड टिप्पर 24 घंटे सड़कों पर दौड़ते देखे जा सकते हैं। वैसे पिछले दिनों इसकी भनक लगने के बाद डीसी डॉ. सुमित जारंगल ने खुद कुछ जगह छापामारी की जिसके तहत कुछ वाहनों को कब्जे में भी लिया , लेकिन गोरखधंधा थम नहीं सका है। शनिवार को ही डीएसपी (आर) गुर¨वदर ¨सह ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जा रहा है व अवैध रूप से ओवरलोड ढुलाई करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। गौर हो कि अवैध रूप से रेत व बजरी की ओवरलोडे ढुलाई करने वाले टिप्परों के कारण लगभग हर दिन कोई न कोई हादसा होता रहता है जबकि कई लोग हादसों में जान भी गंवा चुके हैं। कारण स्पष्ट है कि रेत व बजरी की अवैध व ओवरलोडेड ढुलाई के कारण चालक टिप्पर को तेज रफ्तार दौड़ाते हैं जिस कारण लापरवाही होती है जो हादसों का कारण बनती है। पिछले तीन साल दौरान टिप्परों की चपेट में आकर मरने वालों की अगर बात करें तो पूरे जिले अंदर 48 लोग जहां अपनी जान गंवा चुके हैं वहीं अनेकों लोग घायल भी हुए हैं।
वहीं, सबसे ज्यादा ओवरलोडेड ढुलाई नूरपुरबेदी-रूपनगर रोड, नूरपुरबेदी-बूंगा साहिब रोड तथा कलवां मोड़-झज्ज-नूरपुबेदी-आनंदपुर साहिब रोड, हाईवे पर सुखरामपुर टपरियां रोड, मलिकपुर रोड व ख्वासपुरा रोड के रास्ते होती है। इन रास्तों पर पड़ते दर्जनों गांवों में रहने वाले सैकड़ों की तादाद में चलने वाले टिप्परों से उठने वाली धूल के प्रदूषण से परेशान हैं वहीं ओवर लोड टिप्परों को सड़कों के टूटने का कारण भी मानते हैं। उक्त सारी सड़कें 40 से 70 टन क्षमता वाली हैं जबकि इनके ऊपर से होकर गुजरने वाले रेत व बजरी से लोड टिप्परों सहित राख व सीमेंट लदे ट्रक-ट्रालों में 80 से 150 टन तक वजन होता है। प्रशासन नहीं कर रहा कोई कार्रवाई रूपनगर-घनौली हाईवे को गांव मलकपुर से डकाला, लोहगड़, फिड्डे व दुबुर्जी के रास्ते अंबुजा सीमेंट के आसपास बसे लगभग दर्जन गांवों को जोड़ने वाली सड़क की खस्ता हालत को लेकर ग्रामीण अकसर ओवरलोडेड ट्रकों व टिप्परों को रोकते हुए रोष प्रदर्शन करते आ रहे हैं। ग्रामीणों सहित गांव लोहगड़ फिड्डे के सरपंच ते¨जदर ¨सह के साथ साथ इलाका संघर्ष कमेटी सर्कल लोदीमाजरा के अध्यक्ष निर्मल ¨सह, महासचिव रा¨जदर ¨सह राजू आदि का आरोप है कि अंबुजा सीमेंट फैक्टरी व थर्मल प्लांट के लिए जो ट्रक, ट्राले व टिप्पर ¨क्लकर, राख व कोयला आदि लेकर जाते हैं वही वापस लौटते वक्त सीमेंट लेकर आते हैं जबकि इनके अलावा माइ¨नग मटीरियल की ओवरलोडेड ढुलाई भी इसी रोड से होती रहती है जिस कारण यह सड़कें पूरी तरह से टूट गई हैं। उन्होंने कहा कि इसका खामियाजा पैदल चलने वाले आम लोगों को व दोपहिया वाहन वालों को भुगतना पड़ता है जबकि प्रशासन केवल आदेश जारी करने के बाद आंखे मूंदे बैठा रहता है। सड़क निर्माण में भी लापरवाही
वहीं लोक निर्माण विभाग से सेवा मुक्त एक्सइएन पीके अग्निहोत्री ने भी माना कि सड़कों के टूटने का सबसे बड़ा कारण ओवरलो¨डग है लेकिन साथ यह भी कहा कि आज कल बनाई जाने वाली सड़कों के निर्माण में भी बड़े स्तर पर लापरवाही बरती जाती है। उन्होंने कहा कि न तो पुलिस-प्रशासन ओवरलो¨डग रोक पा रहा है तथा न ही सड़क निर्माण के वक्त मापदंडों का ध्यान रखा जाता है। उन्होंने कहा कि अगर कानून के अनुसार अंडरलोड वाहन चलें तो हादसों में जहां कमी आ सकती है वहीं सड़कों का टूटना भी कम हो सकता है। उन्होंने बताया कि नियमानुसार सड़क बनाते वक्त सबसे पहले छह इंच स्टोन मेटल या छह से नौ इंच वैट मिक्स डालना होता जिसके बाद में तारकोल (लुक) की लेयर डाली जाती है तथा उसके 24 घंटे बाद तीन से चार इंच बीएम डाला जाता है जबकि अंत में एक इंच एसबीडीसी की लेयर डाली जानी जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर इस नियम का पालन किया जाए तो 40 से 70 टन क्षमता वाली सड़क 100 टन तक वजन सहन कर सकती है।