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15 दिन में बीबीएमबी के लीज मसलों की प्रक्रिया के बारे में मनीष तिवारी को दें जानकारी

नंगल शहर में दशकों से लंबित पड़े बीबीएमबी के लीज मसलों के समाधान की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे शहरवासियों के लिए अच्छी खबर है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 10:19 PM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 10:19 PM (IST)
15 दिन में बीबीएमबी के लीज मसलों की प्रक्रिया के बारे में मनीष तिवारी को दें जानकारी
15 दिन में बीबीएमबी के लीज मसलों की प्रक्रिया के बारे में मनीष तिवारी को दें जानकारी

जागरण संवाददाता, नंगल: नंगल शहर में दशकों से लंबित पड़े बीबीएमबी के लीज मसलों के समाधान की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे शहरवासियों के लिए अच्छी खबर है। श्री आनंदपुर साहिब से लोकसभा सदस्य एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने लीज मसले के समाधान के लिए प्रयास शुरू किए हैं। उन्होंने इस मुद्दे को सुलझाने के मकसद से केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह के साथ दिल्ली जाकर भेंटवार्ता की। उन्होंने बताया कि नंगल में इन संपत्तियों पर करीब सात दशकों से रह रहे लोगों को मालिकाना हक मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि बीबीएमबी के पूर्व चेयरमैन ने लीज मसले के संबंध में एक सर्वेक्षण करवाया था, लेकिन उनके तबादले के बाद यह मामला आगे नहीं बढ़ सका है। इस आग्रह पर केंद्रीय मंत्री ने संयुक्त सचिव (हाइड्रो) तन्मय कुमार को निर्देश दिए कि वह इस संबंध में मौजूदा व पूर्व चेयरमैन को बुलाकर निर्देश दें तथा 15 दिनों के भीतर उनको व सासद को भी इस प्रक्रिया की जानकारी दी जाए। बता दें कि मनीष तिवारी इस मामले को लेकर करीब 20 महीनों में केंद्रीय मंत्री से चार बार मिल चुके हैं। निश्चित रूप से यदि सासद तिवारी के प्रयास रंग लाते हैं, तो नंगल शहर के लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है। लीज पालिसी में अब तक कोई न्यायपूर्ण बदलाव नहीं दशकों पहले बनी लीज पालिसी में जरूरी व न्याय पूर्ण बदलाव न होने के कारण शहर के हजारों परिवार दहशत में हैं। इसके अलावा विभिन्न अदालतों में चल रहे मुकदमों की वजह से भी शहर के अंदर बाजारों तथा रिहायशी इलाकों में जरूरत के अनुसार लोग निर्माण तथा कारोबार भी नहीं कर पा रहे हैं। एनएफएल तथा बीबीएमबी से हजारों कर्मचारियों के रिटायर होने के बाद बिजनेस में बढ़ती जा रही मंदी तथा बेरोजगारी से शहर की दयनीय हो चुकी आर्थिक स्थिति लीज मसलों के समाधान से मजबूत हो सकती है। शहर में 80 फीसदी जमीन बीबीएमबी के अधीन है। ऐसे में नए बाजारों व रिहायशी इलाकों का निर्माण संभव न हो पाने से आर्थिक स्थिति लगातार डांवाडोल होते जा रहे हैं। पिछले तीन दशक से बीबीएमबी का लीज मसला लोक सभा, विधानसभा तथा नगर कौंसिल चुनावों के दौरान मुद्दा बनता आ रहा है।

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