इमरजेंसी वॉर्ड के ऑक्सीजन रूम में धूल फांक रहीं व्हीलचेयर
जिला अस्पताल प्रबंधन यहां व्हीलचेयर का कांसेप्ट ही समझ नहीं पा रहा है।
जागरण संवाददाता, रूपनगर
जिला अस्पताल प्रबंधन यहां व्हीलचेयर का कांसेप्ट ही समझ नहीं पा रहा है। ऐसा नहीं है कि अस्पताल प्रबंधन के पास व्हीलचेयर या स्ट्रेचर नहीं हैं, पर सुविधा होने के बावजूद अस्पताल में आने वाले मरीज परेशान हो रहे हैं। दैनिक जागरण की टीम ने छह फरवरी को अस्पताल का दौरा किया था और उस दौरान यहां आने वाले बुजुर्गो और दिव्यांगों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया था। उस दौरान अस्पताल प्रबंधन ने दावा किया था कि जल्द ही यहां पर व्यवस्था का सुधारा जाएगा, पर एक सप्ताह भी हाल वैसे के वैसे ही हैं। इमरजेंसी वॉर्ड में ऑक्सीजन रूम के भीतर दो व्हीलचेयर रखी गई हैं, , जिनका बुजुर्गो और दिव्यांगों को मौके पर कोई लाभ नहीं मिल रहा है। वीरवार को जागरण टीम ने ऑक्सीजन रूम के कैबिन का दरवाजा खुद खोलकर अंदर देखा, तो वहां दो व्हीलचेयर पड़ी थीं । अब गौर करने वाली बात यह है कि जब इमरजेंसी में कोई परिवार अपने बुजुर्ग या दिव्यांग को अस्पताल जांच के लिए लाएगा तो वो यहां आकर खुद व्हीलचेयर व स्ट्रेचर ढूंढेगा, पर मौके पर उन्हें यह सुविधा न मिलने से मजबूरी में मरीज को पीठ पर वार्ड के भीतर ले जाना पड़ेगा। वहीं मौके पर इमरजेंसी वार्ड में मौजूद स्टाफ ने तो यही कहकर पल्ला झाड़ लिया कि मरीज व्हीलचेयर ले जाते हैं और दोबारा उसके सही स्थान पर नहीं रखते हैं। ऐसे में हम भी क्या करे।
पौने घंटे तक ढूंढा, नहीं मिली व्हीलचेयर: नेतर सिंह वीरवार को अस्पताल की ओपीडी में लाठी लेकर मुश्किल से चढ़ते हुए बुजुर्ग नेतर सिंह ने बताया कि उसने कमांड अस्पताल में घुटनों का ऑपरेशन करवाया है। यहां टांके खुलवाने के लिए आए हैं, लेकिन पौना घंटे तक ढूंढने के बाद भी अस्पताल में कहीं व्हीलचेयर तक दिखाई नहीं दी। मौके पर मिलनी चाहिए व्हीलचेयर की व्यवस्था: कुलजीत सिंह लोहारी गांव से आए बुजुर्ग कुलजीत सिंह ने कहा कि उनको शरीर के एक हिस्से में अधरंग है। मैं ज्यादा चल-फिर नहीं सकता। उसे उसके परिवार के सदस्य यहां लेकर आए हैं, पर अस्पताल में कोई भी व्हीलचेयर मौके पर नहीं मिली। व्हीलचेयर की व्यवस्था मौके पर होनी चाहिए, ताकि लोगों को परेशानी न हो।
ओपीडी के बाहर नहीं मिली व्हीलचेयर:उजागर सिंह गांव सोलखियां के बुजुर्ग उजागर सिंह ने कहा कि उन्हें एक आंख से कम दिखाई देता है। वह इसकी जांच के लिए अस्पताल आए हैं। मुझे पैदल चलने में भी दिक्कत है। यहां आकर ओपीडी के बाहर व्हीलचेयर या स्ट्रेचर को ढूंढने की कोशिश की, पर कहीं भी यह व्यवस्था नजर नहीं आई।