56 करोड़ खर्च करने के बाद भी नहीं बुझ रही शहर की प्यास
यहां बरसात के दिनों में डूबने के लिए तो पानी है लेकिन पीने वाले पानी की पर्याप्त उपलब्धता नहीं है।
अरुण कुमार पुरी, रूपनगर: पानी से लबालब भरी नहरों व दरिया से घिरे रूपनगर शहर को देख कोई यही अंदाजा अंदाजा लगाता होगा कि इस शहर में रहने वाले लोग धन्य हैं जिनके पास पानी की कोई कमी नहीं है, जबकि सच्चाई इसके बिलकुल विपरीत है। यहां बरसात के दिनों में डूबने के लिए तो पानी है, लेकिन पीने वाले एवं घरेलू प्रयोग वाले पानी की पर्याप्त उपलब्धता नहीं है। रूपनगर शहर में 56 हजार आबादी के लिए पिछली अकाली सरकार के कार्यकाल में 56 करोड़ की लागत वाला 100 फीसद पेयजल एवं सीवरेज प्रोजेक्ट अमल में लाया गया था, जोकि दस सालों में बनकर तैयार हुआ। बावजूद इसके 100 फीसद वाटर सप्लाई का सपना पूरा नहीं हो सका। बाद में चार लाख गैलन क्षमता वाला प्रोजक्ट भी बनाया गया, लेकिन शहर की प्यास फिर भी नहीं बुझाई जा सकी। शहर के अंदर सप्लाई होने वाला पानी भाखड़ा नहर से उठाया जाता है, जबकि इसके अलावा ट्यूबवेलों से पानी की सप्लाई होती है। भाखड़ा नहर की बात करें तो वर्टिकल शाफ्ट का काम अधर में लटका होने के कारण पानी की पूरी सप्लाई नहीं मिल रही तथा जहां ट्यूबवेलों से पानी की सप्लाई होती है, वहां पानी मटमैला आता है, जो पीने लायक नहीं है। हैरानी तो यह है कि इस मुद्दे को लेकर खुद नगर कौंसिल अध्यक्ष परमजीत सिंह माक्कड़ भी आठ जुलाई को धरना लगा चुके हैं, लेकिन पानी की कमी जस की तस बनी हुई है। आज भी शहर के ज्यादातर मोहल्ले पानी की कमी से जूझ रहे हैं। जिन मोहल्लों में पानी पहुंच रहा है वहां अकसर यही शिकायत रहती है कि पानी प्रदूषित सप्लाई हो रहा है। शहर के अंदर पानी की कमी व सप्लाई हो रहे दूषित पानी को लेकर जहां शहर वासियों में हाहाकार मची हुई है, वहीं नगर कौैंसिल भी इस समस्या को लेकर परेशान चली आ रही है। हालांकि नगर कौंसिल इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए समस्या का समाधान करने के प्रयास तो समय समय पर करती रहती है , लेकिन एक लाइन को ठीक करने से पहले दूसरी लाइन खराब हो जाती है। पानी की अंडर ग्राउंड लाइनों में लीकेज भी नगर कौंसिल के लिए सिरदर्द बनी हुई है। शहर के अंदर पानी की पर्याप्त सप्लाई न होने व दूषित पानी की सप्लाई को लेकर लोगों में रोष है। शहर के अंदर अकसर लोग इस समस्या के चलते नगर कौंसिल के खिलाफ रोष भी जता रहे हैं, लेकिन यहां समस्या जस की तस बनी हुई है। सवालों के घेरे में विभाग की कार्यप्रणाली शहर को रोजाना पांच क्यूसिक पानी की जरूरत है, लेकिन वर्टिकल शाफ्ट न होने के कारण मात्र दो क्यूसिक पानी ही सप्लाई हो रहा है। हर बार वाटर सप्लाई एवं सीवरेज विभाग यही भरोसा देता है कि जल्द वर्टिकल शाफ्ट बनाकर दी जाएगी लेकिन यह काम कब पूरा होगा, यह सवालों के घेरे में है। वर्टिकल शाफ्ट के अभाव में भाखड़ा नहर से उठाया जाने वाला पानी इकट्ठा न होकर प्रेशर के साथ वाटर वर्क्स तक पहुंच ही नहीं पाता, जबकि वर्टिकल शाफ्ट होने पर बिना किसी खर्च पानी आसानी से पहुंचता है। साइफन सिस्टम की वर्टिकल शाफ्ट ग्यारह साल पहले हाईवे निर्माण के दौरान टूट गई थी। हालांकि उस समय इसकी एवज में साढ़े सात लाख रुपये वाटर सप्लाई सीवरेज विभाग के पास जमा करवाए थे, बावजूद इसके इसे आज तक बनाया नहीं जा सका है। 30 अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा काम वहीं इस बारे में नगर कौंसिल के अध्यक्ष परमजीत सिंह माक्कड़ ने कहा कि उनकी हाल ही में वाटर सप्लाई एवं सीवरेज बोर्ड के उच्च अधिकारियों से इस मुद्दे पर बात हुई है। उन्होंने भरोसा दिलाया है कि वर्टिकल शाफ्ट का काम शुरू करवा दिया गया है, जिसे हर हाल में 30 अक्टूबर तक पूरा किया जाएगा। वर्टिकल शाफ्ट का काम पूरा होते ही शहर अंदर पानी की समस्या पूरी तरह से दूर हो जाएगी।