चार लाख गैलन से भी नहीं बुझ रही प्यास
शहर में प्रति व्यक्ति रोजाना 134 लीटर पानी चाहिए पर आबादी के हिसाब से इतना पानी नसीब नहीं हो पा रहा है।
अजय अग्निहोत्री, रूपनगर: पानी की कीमत का आज हमें अंदाजा नहीं है। जब प्यास लगती है और हम पानी ढूंढते हैं व उसे पीने के बाद जो सुकून मिलता है, वो हम महसूस करने के बाद भूल जाते हैं। शहर में प्रति व्यक्ति रोजाना 134 लीटर पानी चाहिए, पर आबादी के हिसाब से इतना स्वच्छ एवं निर्मल पानी लोगों को नसीब नहीं हो पा रहा है। रूपनगर शहर में 56 हजार आबादी के लिए पिछली अकाली सरकार के कार्यकाल में 100 फीसद पेयजल प्रोजेक्ट अमल में लाया गया। दस सालों में प्रोजेक्ट बनकर तैयार हुआ, लेकिन उसकी छोटी- छोटी खामियों के कारण आज भी पेयजल सप्लाई 100 फीसद नहीं हो पाई है। चार लाख गैलन की टंकी बनाकर भी शहर की प्यास नहीं बुझाई जा सकी है। कभी किसी मोहल्ले में पेयजल की किल्लत रहती है, तो कभी किसी मोहल्ले से सूचना आती है कि आज सीवरेज के पानी जैसा पेयजल सप्लाई आया है। जहां ट्यूबवेलों से पानी सप्लाई हो रहा है, वहां पानी मटमैला और पीने लायक नहीं है।
जिले में पेयजल सप्लाई तो करीबन हर जगह है, लेकिन मुद्दा ये है कि पीने के पानी की पर्याप्त सप्लाई और पानी की स्वच्छता का शत- प्रतिशत न होना गंभीर चिता का विषय है। इससे भी गंभीर मुद्दा ये है कि पर्याप्त पानी न होने के बावजूद पानी की बर्बादी यहां आम है। जिले में चमकौर साहिब, घनौली, पुरखाली, नूरपुरबेदी इलाके में बोर (टयूबवेल) से पानी की सप्लाई हो रही है। ये सप्लाई अपर्याप्त ही नहीं, बल्कि कई जगह दूषित भी है। क्योंकि जमीन का पानी लगातार दूषित हो रहा है। आश्चर्यजनक तथ्य ये है कि जिले में दस साल पहले तक 50 से 70 फीट तक जमीन के नीचे का पानी पीने लायक और मीठा था, लेकिन अब जमीन के नीचे के पानी लगातार प्रदूषित हो रहा है। पानी का टीडीएस (टोटल डिसॉल्व सॉलट) का स्तर लगातार बढ़ रहा है। कई अच्छे कुओं तथा ट्यूबवेलों का टीडीएस लगातार बढ़ता जा रहा है। 500 टीडीएस तक ये मात्रा पाई जा चुकी है। जिले में रूपनगर, नंगल, गुरु नगरी आनंदपुर साहिब, कीरतपुर साहिब कस्बों में ही सतलुज झील और भाखड़ा नहर का पानी ट्रीट करके पेयजल के लिए सप्लाई हो रहा है। इन कस्बों के आसपास के ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी की किल्लत है। बता दें कि जिले में आबादी 6 लाख 84 हजार 627 है।
टयूबवेल से भी समस्या का मुकम्मल समाधान नहीं गांवों में दस साल पहले तक हरेक घर में हैंडपंप होता था। हैंडपंप का पानी स्वच्छ, मीठा और पीने लायक था। पिछले दस सालों में अधिकतर हैंडपंपों ने काम करना बंद दिया है। जो काम करते हैं, उनका पानी खारा हो गया है। यही वजह है कि अब ग्राम पंचायतों, जल स्वास्थ्य विभाग तथा नगर पंचायतों को गहरे ट्यूबवेल करवाने पड़ रहे हैं। 400 से 600 फीट तक गहरे टयूबवेल करवाकर भी समस्या का मुकम्मल समाधान नहीं हो पा रहा। यहां समस्या ज्यादा गंभीर नहीं नंगल में सतलुज दरिया के उदगम नंगल नगर कौंसिल, एनएफएल तथा बीबीएमबी अपने अपने स्तर पर पेयजल की सप्लाई दे रही हैं। नंगल शहर में फिलहाल कोई बड़ी समस्या पेयजल को लेकर नहीं है। न ही पेयजल की किल्लत की न ही स्वच्छता को लेकर लोगों की कोई बड़ी शिकायत है। आनंदपुर साहिब तथा कीरतपुर साहिब में भी भाखड़ा नहर के पानी को ट्रीट करके पानी सप्लाई किया जा रहा है। नए प्रोजेक्ट का पानी भी गंदा नूरपुरबेदी इलाका जोकि 138 गांवों का ब्लॉक है, में पीने के पानी की सप्लाई पर्याप्त नहीं है। पानी में रेत आता है और पानी दूषित है। यहां के लोगों में इसका असर देखने को मिल रहा है। लोग पथरियों से पीड़ित हो रहे हैं। पेट की बीमारियों के मामले भी सामने आए हैं। बता दें कि नूरपुरबेदी में 40 गांवों के लिए पीने के पानी की सप्लाई भाखड़ा नहर से देने का प्रोजेक्ट था। इसे अब चला दिया गया है और 40 से गांवों की संख्या 50 कर दी गई थी, लेकिन आज भी यहां पर पानी गंदा आ रहा है।