बैंक खातों में शातिर ऐसे लगा रहे सेंध, बड़े पेमेंट एप के जरिये अकाउंट से उड़ा रहे रकम
जालसाज बैंक खातों में बेहद शातिराना तरीके से सेंध लगा रहे हैं। पूर्व विदेश राज्यमंत्री व सांसद परनीत कौर के बैंक खाते से 23 लाख रुपये उडा़ने के मामले में सनसनीखेज खुलासे हुए हैं।
पटियाला, जेएनएन। आपका बैंक खाता भी खतरे में है, इसलिए सावधान हो जाएं। शातिर लोग आसानी से बैंक खातों में सेंध लगा रहे हैं। इसके लिए वे बड़े पेमेंट एप का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। इस संबंध में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी व सांसद परनीत कौर के बैंक खाते से 23 लाख रुपये उड़ाने के मामले में बेहद सनसनीखेज खुलासा हुआ है। पुलिस के अनुसार, इन शातिर लोगों के निशाने पर एक सरकारी बैंक के खाते व कार्ड होते हैं।
परनीत कौर के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार कर पूछताछ की गई तो पुलिस अफसरों के भी होश उड़ गए। गिरफ्तार किए गए लोगों में एक झारखंड के जामताड़ा का अताउल है। पंजाब पुलिस उसे झारखंड से लेकर लौटी है। बाकी दो पंजाब के हैं। उनकी पहचान फतेहगढ़ साहिब के न्यू शांतिनगर मंडी के निवासी अफसर अली और मंडी गोबिंदगढ़ निवासी नूर अली के रूप में हुई है।
कैप्टन अमरिंदर की पत्नी व सांसद परनीत कौर के खाते से 23 लाख उड़ाने का मामले में सनसनीखेज खुलासे
पटियलएसएसपी मंदीप सिंह सिद्धू ने बताया किये लोग बेहद शातिराना तरीके से बैंक खातों से रकम उड़ाते थे। इस केस में मुख्य आरोपित अभी फरार है। खुद को राहुल अग्रवाल बताने वाले इस शातिर ने ही सांसद को फोन कर उनके खाते से रकम उड़ाई थी। इस मामले में दर्जनों लोगों की संलिप्तता सामने आ रही हैं। तीनों को कोर्ट में पेश कर आठ दिन का रिमांड हासिल किया गया है।
48 पेमेंट एप से करते थे ऑनलाइन ठगी, 693 सिम कार्ड मिले
पंजाब के दोनों आरोपित मोबाइल व सिम खरीदने-बेचने की दुकान चलाते हैं। दोनों से 693 मोबाइल सिम कार्ड भी बरामद हुए। ये लोग एक सिम का इस्तेमाल कर उसे बाद में डिस्कार्ड कर देते थे। बैंक खातों से रकम निकालने के लिए ये शातिर लोग 48 मोबाइल एप का इस्तेमाल करते थे। एप के जरिये रुपये निकालने के बाद वे उसे हरियाणा स्थित स्पाइस इंडिया नामक कंपनी के खाते या अन्य कंपनियों के खाते में जमा करवा देते थे। परनीत कौर से ठगे गए कुछ पैसे भी इसी कंपनी के खाते में ट्रांसफर किए गए थे। पुलिस ने कंपनी के अकाउंट्स को फ्रीज कर दिया है।
पेमेंट एप के वैलेट में पैसे रखकर ग्राहकों को दी जाती ऑनलाइन सर्विसेज
इसके अलावा ऑनलाइन बिल भरने, पैसे ट्रांसफर करने, रिचार्ज करने के अलावा अन्य ऑनलाइन सुविधाएं के जरिए भी ठगी के पैसों को कैश में बदल लिया जाता था। जांच में खुलासा हुआ कि परनीत कौर के खाते से निकाली रकम में एक हिस्सा अफसर अली व दूसरा नूर अली के मोबाइल वैलेट में ट्रांसफर हुआ था। इन दोनों ने इस पैसे को ग्राहकों की आनलाइन पेमेंट सर्विसेज में खर्च किया। अताउल अंसाली को भी पैसे ट्रांसफर हुए हैं। वह पेशे से तो दिहाड़ीदार था लेकिन लग्जरी जिंदगी जीता था। आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि उन्हें जानकारी नहीं थी कि यह बैंक खाता सांसद परनीत कौर का है।
इन 48 एप का इस्तेमाल कर पैसे को करते थे इधर-उधर
तीनों ने पूछताछ में बताया कि वे ओला मनी, पेटीएम, स्पाइस मनी, फोनपे, पे-नियरबाय, एअरटेल मनी, मित्रा (फिनो बैंक), अमेजन पे, एबीआइपीबीएल, भीम यसपे, एनीडेस्क, पैरालेल स्पेस, गूगल-पे, मोबीक्विक, पैसा बाजार, भीम एबीपीबी, यूडीआईओ, पेमोंक, ईजीपे, पेवर्ल्ड, फ्यूचर पे, टैग आइटीआइ वॉलेट, पेयूनो, पे1एक्सप्रेसस, ई पे ओन, इंस्टामोजो, माई ओबो पे, रेपीपे, पे-बिल, पे मनीफो रयू, टीए वॉलेट, टॉक चार्ज, एम पर्स, स्नैपे, रोजर पे, इंड-पे, ट्राई मनी, आई कैश कार्ड, चार्ज फोर यू, पे जैप, मोल्स पे, विप्स वॉलेट, मसपे, एटीएम सेवा, डीबी इंडिया, स्लाइस पे एप्लीकेशन के जरिए लोगों के बैंक खाते से उड़ाई मनी को आनलाइन ट्रांजेक्शन में इस्तेमाल करते थे।
चार साल से ठग रहे थे लोगों को
अफसर अली व नूर अली मूल रूप से बिहार के जिला भागलपुर के गांव मुरली के रहने वाले हैं। इन दिनों मंडी गोबिंदगढ़ में मोबाइल फोन बेचने व खरीदने के अलावा सिम कार्ड बेचने का काम भी करते थे। दोनों अताउल अंसारी के संपर्क में आए तो चार साल से लोगों को ठगने लगे। इस काम के बदले में दोनों को मोटा कमीशन भी मिलता था। पुलिस को राहुल अग्रवाल के कुछ मोबाइल नंबर मिले हैं। इन नंबरों को साइबर क्राइम सेल के जरिए ट्रेस करना शुरू कर दिया है।
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आप भी रहें सर्तक, इस तरह से लोग आ जाते हैं झांसे में
एसएसपी मंदीप सिंह सिद्धू ने कहा कि गूगल में एसबीआइ कस्टमर केयर सर्च करने पर पहले पांच से सात नंबर दिखाई देने वाले इन आरोपितों के ही होते थे। उसी कारण लोग आसानी से इनके जाल में फंस जाते। ये सभी इंटरनेट साइट, सरकारी वेबसाइट व अन्य सोर्स से फोन नंबर हासिल करने के बाद उन्हें कॉल करके एटीएम कार्ड या बैंक खाता अपग्रेड करवाने की बात कह बैंक की डिटेल हासिल करते थे।
एटीएम कार्ड का नंबर, सीवीवी व ओटीपी लेने के बाद आरोपित ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए ग्राहक की बजाय अपना नंबर फीड कर देते थे ताकि बाद में अगली ट्रांजेक्शन के लिए ओटीपी आए तो वह उनके मोबाइल पर ही मिले। परनीत कौर से भी इसी तरीके से ठगी की गई थी। उनके खाते की लिमिट एक बार में एक लाख थी जिस कारण 23 बार अलग अलग एप के जरिए 23 लाख रुपये निकाले गए।
सिम लेते समय भी रखें ध्यान
पुलिस को शक है कि दोनों आरोपित सिम लेने आने वाले ग्राहकों के नाम पर फर्जी तरीके से अलग से एक सिम कार्ड खरीद लेते थे। इसी सिम को बाद में ठगी के लिए इस्तेमाल में लाया जाता।
सबसे ज्यादा केस एसबीआइ के
एसएसपी मंदीप सिंह सिद्धू ने कहा कि साइबर ठगी के दस में से आठ केस स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के आते हैं। परनीत कौर का खाता भी एसबीआइ का ही था। ऐसे में एसबीआइ के प्रबंधकों से तालमेल कर उन्हें सुरक्षा के इंतजाम व डेबिट और क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल संबंधी वर्किंग बेहतर करने की अपील करेंगे।
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