सीएपीएफ में पटियाला के ऋषभ को 36वां रैंक लेकर साकार किया सपना
पटियाला के ऋषभ गुप्ता ने सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेस (सीएपीएफ) की परीक्षा में 36वां रैंक हासिल किया है।
जागरण संवाददाता, पटियाला : पटियाला के ऋषभ गुप्ता ने सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेस (सीएपीएफ) मेंअसिस्टेंट कमांडर की परीक्षा में देश भर में 36वां रैंक हासिल किया है। इससे पहले ऋषभ गुप्ता इंस्पेक्टर कोऑपरेटिव सोसायटी की परीक्षा भी पास कर चुके हैं और इन दिनों नाभा में अपनी सेवाएं निभा रहे हैं। ऋषभ के पिता नरेश कुमार काका गुड़ मंडी पटियाला के समाज सेवक व व्यापारी हैं। ऋषभ ने बताया कि उन्हें बचपन से ही उन्हें पढ़ने का शौक था, दसवीं में ऋषभ ने पटियाला जिला में पहला स्थान प्राप्त किया था। इसके बाद हायर एजुकेशन के लिए उन्होंने थापर यूनिवर्सिटी में एडमिशन ली और मैकेनिकल इंजीनियरिग की पढ़ाई पूरी की। स्टडी पूरी करने के बाद वह उच्च स्तरीय परीक्षाओं की तैयारी में जुट गए। उन्होंने अपनी मेहनत का श्रेय मेहनत व दृढ़ निश्चय को दिया।
ऋषभ ने बताया कि 416 पदों में यूपीएससी की ओर से थ्री स्टेज में परीक्षा ली जाती है। इसके तहत पहला ऑब्जेक्टिव टाइप एग्जाम, दूसरी लिखित परीक्षा और उसके बाद फिजिकल परीक्षा हुई। ऋषभ ने कहा कि लोगों को सीएपीएफ के बारे में अधिक जानकारी नहीं है, जबकि देश की आंतरिक सुरक्षा में इन फोर्सेस का अहम योगदान है। सीएपीएफ पांच फोर्सेज के समूह को कहा जाता है, जो देश के विभिन्न इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करते हैं। इस अवसर पर ऋषभ गुप्ता के दोस्त इंस्पेक्टर हरजोत सिंह, परम पाल सिद्धू, मनजिदर सिंह, सचिन सिगला, वरिदर सिंह व अन्य संबंधी मौजूद रहे सभी न ऋषभ गुप्ता को उनकी सफलता पर शुभकामनाएं दी।
बचपन से यूनिफॉर्म फोर्सेस में भर्ती होना चाहता था
ऋषभ गुप्ता ने बताया कि उन्हें बचपन से ही यूनिफॉर्म फोर्सेज में भर्ती होने का शौक था। इसी मकसद से वह यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने बताया कि उनका सपना था कि वो आईपीएस की परीक्षा पास करके यूनिफॉर्म फोर्स में भर्ती हो सकें, इस परीक्षा को पास करने के बाद भी वह बेहद खुश हैं। उन्होंने बताया कि वह आइपीएस के लिए भी अपनी तैयारी जारी रखेंगे।
परिवार व शिक्षक प्रेरणा स्त्रोत
ऋषभ गुप्ता ने बताया कि देश सेवा के लिए प्रेरणा का स्त्रोत उनके परिवार व शिक्षक ही है, जिन्होंने हर समय उन्हें प्रोत्साहन दिया। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां वनीता गुप्ता को देते हुए कहा कि उनकी मां बचपन से उनकी पढ़ाई के प्रति काफी संजीदा थी और इसी का परिणाम है कि वह इतनी बड़ी सफलता हासिल कर सके हैं।
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