पंजाबी विरासत का असल जायका: बाजरे की रोटी के साथ सरसों के तेल में देसी तरीके से जिमीकंद और कटहल की सब्जी
बटर चिकन को पंजाबियों की मनपसंद डिश माना जाता है लेकिन ऐसे में बड़ी संख्या में पंजाबी शाकाहारी भी है।
गौरव सूद, पटियाला
बटर चिकन को पंजाबियों की मनपसंद डिश माना जाता है, लेकिन ऐसे में बड़ी संख्या में पंजाबी शाकाहारी भी है। इसलिए कटहल और जिमीकंद का टेस्ट भी बटर चिकन के समान होने के कारण यह पंजाबियों की पहली पसंद रही है। इसके साथ बाजरे की रोटी जायके को लावाब बना देती है। यह बात बारादरी गार्डन में पहुंचे शेफ आशीष निखंज ने दैनिक जागरण के साथ खास बातचीत दौरान कहीं। शेफ आशीष निखंज ने बताया कि इस फूड फेस्टिवल में हमने खास खड़े मसालों से देसी तरीके से कटहल और जीमीकंद की सब्जी के साथ बाजरे की रोटी बनाई। उन्होंने बताया कि कटहल और जीमीकंद की सब्जी बनाते समय वह खुद को रोक नहीं सके और जिमिकंद के कुछ पीस लेकर उनपर निबू और नमक लगाकर खाए बिना डिश नहीं बना सके, लेकिन समय के साथ साथ पंजाबी अपना विरासती खाना भूल चुके है और बाजरे की रोटी की जगह अब गेहूं की रोटी और चावल खाना शुरू कर दिया, वहीं जीमीकंद की जगह आलू ने ली है। इसीलिए आज ज्यादातर पंजाबी मोटापे का शिकार भी हो रहे है। इसके साथ सब्जी को प्योर पंजाब टच देने के मकसद से सरसों का तेल इस्तेमाल किया ताकि प्योर पंजाब स्टाइल से शहर वासियों को वाकिफ करवाया जा सके।
उन्होने बताया बताया कि खटास के लिए टमाटर की जगह दही का इस्तेमाल किया गया है, क्योंकि आज से करीब 70 साल पहले पंजाब की सब्जियों में टमाटर का भी इस्तेमाल नहीं होता था और टेस्ट में हल्की खटास के लिए दही को सब्जी में डाला जाता था। आज के मॉडर्न दौर शायद यह बात किसी को पता भी नहीं होगी। इसी तरह धीरे-धीरे हम अपने विरासती खाने से दूर हो गए है। जिसके चलते बाजरे की रोटी पंजाब की रसोइयों से पूरी तरह गायब हो गई और इसकी जगह गेहूं ने ले ली। गेहूं से जल्द भूख नहीं मिटती जिस कारण हम कई मोटापे समेत कई बीमारियां हमें अपना शिकार बना रही है।
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घर में रिश्तेदार आने पर पीसा जाता था गेहूं का आटा
शेफ आशीष ने बताया कि हमारी नानी बताया करती थी कि पहले जब घर में रिश्तेदार आते थे तो उस समय गेहूं का आटा पीसा जाता था। जबकि आम तौर पर बाजरे की रोटी खाई जाती थी। उन्होंने बाजरे की विशेषता बताते हुए कहा कि बाजरा इतना समर्थ है कि इससे भूख भी जल्दी मिट जाती है और इसे दिन में दो बार खाकर भी भूख नहीं लगती। जबकि गेहूं की रोटी दिन में तीन बार खानी पड़ती है।