गलत का परिणाम भी होता है हानिकारक : भारती
अनाज मंडी घनौर में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा की अंतिम दिन में चरणदीप सिगला व दीपक जिदल ने परिवार सहित प्रभु का पूजन किया।
जेएनएन, पटियाला : अनाज मंडी घनौर में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा की अंतिम दिन में चरणदीप सिगला व दीपक जिदल ने परिवार सहित प्रभु का पूजन किया। उन्होने कथा का शुभारंभ करवाया। ज्योति प्रचंड की रस्म मदन लाल जलालपुर (एमएलए घनौर) ने की। नौजवान सभा घनौर की ओर से आयोजित कथा में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक व संचालक आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी भाग्यश्री भारती ने भगवान श्री कृष्ण के आलौकिक एवं महान व्यक्तित्व के पहलुओं को सभी प्रभु भक्तों के समक्ष रखा। अंतिम दिन उन्होंने बताया कि रुक्मिणी विवाह प्रसंग के माध्यम से हमें सीख मिलती है कि प्रभु उसी आत्मा का वरण करते हैं, जिसमें उन्हें प्राप्त करने की सच्ची जिज्ञासा हो। रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से नहीं हो सकता, क्योंकि वह लक्ष्मी का अवतार हैं। श्री लक्ष्मी सदैव विष्णु के संग ही शोभायमान होती हैं। हमारे वेदों में धरती को विष्णुरूपा माना गया है। धरती जो हमारा भार वहन करती हैं। धन-धान्य से हमारा भरण पोषण करती है। इसलिए धरती को मां कहा गया है। प्रकृति संहारक चंडिका का रूप धारण कर चुकी है। अन्य, धान्य से हम सब को परोसने वाली प्रकृति मां रोद्ररूपा स्वरूप धारण कर चुकी है। कहीं ज्वालामुखी फटते हैं, कही चक्रवात, सुनामी, भुखमरी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। कारण यही है कि हमने प्रकृति के संतुलन को खराब किया है। प्रकृति का यह अटल नियम है कि जैसी क्रिया वैसी प्रतिक्रिया होती है। यदि क्रिया सकारात्मक है तो प्रतिक्रिया भी अच्छी ही मिलेगी। यदि क्रिया गलत है तो परिणाम भी हानिकारक होगा। इस मौके पर विकास शर्मा, व्रज भूषन, मदन लाल, भूषन चंद, राम कुमार, धर्मपाल वर्मा, नरेश कुमार सिगला, गौतम सूद, सुभाष शर्मा, दीपक राज, यादविंद्र शर्मा, राज कुमार सिगला, धर्मपाल सिगला, महंत अरूण, कृष्ण कुमार लीला आदि मौजूद रहे।