जासं, पटियाला। पर्यावरण के लिए हर वर्ष श्राप साबित होने वाली पराली जल्द ही राज्य की अर्थव्यवस्था और उद्योग जगत के लिए वरदान साबित होगी। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने पराली को ईंधन के तौर पर स्थापित करने की दिशा में पूर्ण तौर पर काम शुरू कर दिया है। इसके तहत जहां 7 औद्योगिक इकाइयों ने पराली को ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया गया है। वहीं, अब पूरे साल पराली की उपलब्धता को लेकर भी प्रयास शुरू कर दिए हैं।
अगले वर्ष के लिए तैयारी शुरू
इसके लिए पीपीसीबी ने अब पराली जमा करने के लिए ट्रेडर्स की तलाश शुरू कर दी है। हालांकि, अब धान की फसल की कटाई हो चुकी है और पराली जलाने के मामले भी लगभग समाप्त हो चुके हैं। ऐसे में पीपीसीबी ने अगले वर्ष पराली की समस्या से निपटने की तैयारी अब से ही शुरू कर दी है।
पीपीसीबी चेयरमैन डा. आदर्शपाल विग ने बताया कि इस समय सात औद्योगिक इकाइयां तीन 3,05,900 टन पराली को प्रति वर्ष ईंधन के तौर पर इस्तेमाल कर रही हैं। अगले वर्ष तक पांच और औद्योगिक इकाइयों की तरफ से करीब 2,75, 600 टन पराली का ईंधन के रूप में इस्तेमाल शुरू कर दिया जाएगा। ऐसे में फैक्ट्री मालिकों को पूरे साल पराली की आपूर्ति को लेकर समस्या आ रही थी।
किसान और फैक्ट्री मालिक दोनों का लाभ
कारण, धान की फसल की कटाई के सीजन का अंत होने पर पराली नहीं मिलती। ऐसे में ट्रेडर्स पराली के सीजन के दौरान पराली अपने पास जमा कर साल भर फैक्ट्रियों को जरूरत अनुसार सप्लाई कर सकेंगे। इससे जहां किसानों को पराली की समस्या से निजात मिल जाएगी, वहीं ईंधन के तौर पर इस्तेमाल शुरू होने पर किसानों को पराली से आय भी शुरू हो जाएगी, जोकि किसान और फैक्ट्री मालिक दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा।
विग ने बताया कि ट्रेडर्स के अलावा फैक्ट्री मालिकों से भी पराली जमा करने की दिशा में प्रयास करने संबंधी बातचीत जारी है। उन्होंने बताया कि जो फैक्ट्रियां पराली जमा करने की व्यवस्था करने में सक्षम हैं, वे अपने स्तर पर पराली जमा कर सकेंगी। अन्य फैक्ट्री मालिक ट्रेडर्स से पराली खरीद सकेंगे, जिससे दोनों समस्याएं हल हो जाएंगी।