एक किसान ने लिखी जैविक कृषि के बूते विकास की नई गाथा
पटियाला का एक किसान जैविक खेती के माध्यम से विकास की गाथा लिख रहा है। मझाल खुर्द के प्रगतिशील किसान गुरप्रीत सिंह शेरगिल दूसरे किसानाें को भी नई राह दिखा रहे हैं।
पटियाला, [प्रेेम वर्मा]। शतप्रतिशत जैविक कृषि के बूते सफलता की नई कहानी लिख चुके पंजाब के पटियाला के प्रगतिशील किसान गुरप्रीत सिंह शेरगिल की प्रसिद्धी उनके गांव मझाल खुर्द से निकल राज्य और देश स्तर पर पहुंची। शेरगिल ने जैविक कृषि को आज जिले के हर गांव तक पहुंचा दिया है। अनेक किसान अब उनसे प्रेरणा लेकर प्राकृतिक खाद के इस्तेमाल की राह पर चलने लगे हैं।
प्रगतिशील किसान ने जैविक खेती से पाई सफलता, राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर मिल चुके हैं अनेक पुरस्कार
जैविक खाद के अलावा शेरगिल वर्मीकम्पोस्ट (केंचुआ खाद) तैयार करते हैं। करीब दस साल से वह खुद इसका इस्तेमाल करते आ रहे हैं। अब वह सालाना एक हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट को किसानों को मुहैया करवा रहे हैं। सरकार से भी उन्हें मदद मिली। शेरगिल कहते हैं कि किसानों को भी इस खाद को तैयार करने के लिए सरकारी स्कीम का लाभ लेना चाहिए क्योंकि सरकार इसके लिए पचास फीसद तक सब्सिडी मुहैया कराती है।
रासायनिक खादों से धरती को होने वाले नुकसान से बचने के लिए वह हर किसान को इसके लिए प्रेरित करते आए हैं। पर्यावरण प्रेमी शेरगिल ने साल 1996 में गेंदा के फूलों की खेती भी शुरू की थी। इसके बाद गुलाब, अंग्रेजी गुलाब, स्टैटाइस, गुलजफरी की भी बड़े पैमाने पर खेती की।
जैविक और समेकित कृषि में बेहतर परिणाम हासिल करने के लिए शेरगिल को कई पुरस्कार प्रदान किए जा चुके हैं। नई दिल्ली में कृषि उन्नति मेले के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री के हाथों उन्हें आइएआरआइ (इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट) फेलो फार्मर अवार्ड, आइएआरआइ की ओर से साल 2015 में इनोवेटिव फार्मर अवार्ड, पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों साल 2014 में एनजी रंगा फार्मर अवार्ड, साल 2011 में पंजाब मुख्यमंत्री पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कार वे अपने नाम कर चुके हैं।