PU Patiala को पंजाब से नहीं मिल रहे Engineering Students, बिहार व जम्मू जाएगी टीम
वित्तीय संकट से जूझ रही पंजाबी यूनिवर्सिटी पर अब स्टूडेंट्स के दाखिले का संकट भी गहराने लगा है। यहां 25 फीसद सीटें भी नहीं भर पा रही।
पटियाला [बलविंदर पाल सिंह]। वित्तीय संकट से जूझ रही पंजाबी यूनिवर्सिटी पर अब स्टूडेंट्स के दाखिले का संकट भी गहराने लगा है। यहां के इंजीनियरिंग विभाग में तो हालात ऐसे हो गए कि 25 फीसद सीटें भी नहीं भरी जा रहीं। इसके लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने फैसला किया है कि अब प्रोफेसर की एक टीम विभिन्न राज्यों में जाएगी। वहां छात्रों को इंजीनियरिंग व पंजाबी यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके लिए यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर बीएस घुम्मण ने यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बैठक भी की।
बैठक में यूनिवर्सिटी के बाहरी सेंटरों के हेड भी शामिल रहे। उनके सामने फैसला किया गया कि शुरुआत में बिहार और जम्मू जाया जाएगा। बैठक में यूनिवर्सिटी से संबंधित नेबरहुड कैंपस, रीजनल सेंटर में भी पिछले सालों में लगातार कम हो रही एडमिशन का मुद्दा भी उठा। अभी यूनिवर्सिटी में पंजाब का दाखिले का कोटा 85 फीसद और 15 फीसद कोटा बाहरी राज्यों का रखा गया है। फैसले पर अधिकारियों का मानना है कि इससे यूनिवर्सिटी में जहां स्टूडेंट्स का दाखिला बढ़ेगा, वहीं वित्तीय संकट भी कम होगा।
जागरूक करने के साथ-साथ दाखिला भी किया जाएगा
प्रोफेसर की टीम दूसरे राज्य में पहुंचकर छात्रों का दाखिला भी करेगी। इसके लिए हर विभाग से दो-दो अध्यापकों को इस काम के लिए चुना जाएगा। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दूसरे राज्य में जाकर दाखिला करवाने वाले इच्छुक अध्यापकों के नाम भी मांगे हैं। बैठक के बाद यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रोनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग ने सभी विभागों को सर्कुलर भी जारी कर दिया। इसमें साफ लिखा गया है कि इन प्रोफेसर को टीए व डीए की अदायगी भी जल्द होगी।
वीसी के निर्देशों पर ही यह सर्कुलर जारी किया गया
इलेक्ट्रोनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के हेड मनजीत सिंह भामरा का कहना है कि यूनिवर्सिटी के सभी सेंटरों के हेड की वीसी के साथ मीटिंग हुई थी। वीसी के निर्देशों पर ही यह सर्कुलर जारी किया गया है। बाहरी राज्यों का 15 फीसदी कोटा होता है, जिसे पूरा करना जरूरी है। इसी पॉलिसी के तहत अध्यापकों के नाम मांगे गए हैं।
दाखिला न होने के ये कारण आए सामने
वाइस चांसलर से बैठक में दाखिला नहीं होने के कई कारण सामने आए। सबसे बड़ा कारण अधिकारियों द्वारा लंबे समय से जॉब प्लेसमेंट न करवाना है। उनके अनुसार पटियाला में ही स्थित एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग की फीस 4 से 5 लाख रुपये है जबकि पीयू की दस गुणा तक कम है। इसके बावजूद अधिकतर कोर्स में बीस फीसद दाखिला भी नहीं हो रहा।
2018-20 बैच के दाखिले का ब्योरा
कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग : 200 में से 195 सीट भरी
मैकेनिकल इंजीनियरिंग : 180 सीटों में से सिर्फ 32 भरी।
सिविल इंजीनियरिंग : 180 में से 37 भरी।
इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग : 180 में से 37 भरी।
बड़े कारण
- पंजाब में रेगुलेटरी बोर्ड नहीं। यह बोर्ड सरकारी व प्राइवेट में सीट बराबर रखता है। यहां प्राइवेट यूनिवर्सिटी लगातार सीट बढ़ा रही हैं।
- यूनिवर्सिटियों ने हर शहर में अपने एजेंट रखे हैं, जो कमीशन लेकर दाखिला बढ़वाते हैं।
- फीस में डिस्काउंट न दिया जाना।
- लंबे समय से कोई विज्ञापन तक नहीं दिया, जिससे छात्रों को कोर्स का पता ही नहीं चलता।
- हॉस्टल की सुविधा, हॉस्टल में एसी कमरे व यूनिवर्सिटी में अच्छे खासे होटल जैसी मार्केट की सुविधा न होना।
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