नान टीचिग मुलाजिम आए सस्पेंड किए कर्मचारियों के हक में, वीसी को मिले
यूजीसी ग्रांट घोटाले में सस्पेंड किए सात रेगुलर कर्मचारी व टर्मिनेट किए तीन कर्मचारियों के हक में पंजाबी यूनिवर्सिटी कर्मचारी संघ नान टीचिग उतर आया है।
जागरण संवाददाता, पटियाला : यूजीसी ग्रांट घोटाले में सस्पेंड किए सात रेगुलर कर्मचारी व टर्मिनेट किए तीन कर्मचारियों के हक में पंजाबी यूनिवर्सिटी कर्मचारी संघ नान टीचिग उतर आया है। इन कर्मचारियों के हक में संघ के एक शिष्टमंडल ने बुधवार को वाइस चांसलर प्रो. अरविद से मुलाकात की। शिष्टमंडल में महासचिव जगतार सिंह, देव रिषी हांडा, जसवीर सिंह, सुखविदर सिंह सुखी व जरनैल सिंह सचिव ए क्लास एसोसिएशन के अलावा सस्पेंड किए सात रेगुलर कर्मचारियों ने वीसी को बताया कि यूनिवर्सिटी के इन मुलाजिमों के खाते में पैसा कहां से आ रहा था, उसके बारे में उन्हें जानकारी ही नहीं थी। मामले के मुख्य आरोपित निशु चौधरी ने सभी व्यक्तियों को अपने भरोसे या फिर झूठ बोलकर उनके खाते में पैसे डाले। इस दौरान सभी ने वीसी से मामले की दोबारा जांच करवाने की मांग की।
उधर, वाइस चांसलर प्रो. अरविद ने संघ के शिष्टमंडल के सदस्यों की बात सुनी और कर्मचारियों को नियमों अनुसार कार्रवाई करने की बात की। वीसी ने सदस्यों को कहा कि वह एक अलग कमेटी बनाकर ही इस मामले की पड़ताल करवाएंगे। बता दें कि यूनिवर्सिटी द्वारा मंगलवार को सात रेगुलर कर्मचारियों को सस्पेंड व तीन का कांट्रैक्ट खत्म करने की कार्रवाई की गई थी। सभी बेकसूर, इन्हें भरोसे में लेकर इस्तेमाल किया
पंजाबी यूनिवर्सिटी कर्मचारी संघ नान टीचिग के महासचिव जगतार सिंह ने कहा कि जिन 10 कर्मचारियों पर यूनिवर्सिटी द्वारा कार्रवाई की गई है, वे बेकसूर हैं। मामले के मुख्य आरोपी निशु चौधरी ने इन कर्मचारियों को भरोसे में लेकर इनका इस्तेमाल किया है। इन कर्मचारियों को पता तक नहीं था, कि निशु इनके खाते में कहां से पैसे जमा करवा रहा था। जगतार सिंह ने कहा कि वह और उनके साथियों ने वाइस चांसलर से मुलाकात कर उन्हें मुलाजिमों के बेकसूर होने संबंधी बताया। जगतार ने बताया कि वीसी ने मामले में अलग से कमेटी गठित कर दोबारा पड़ताल करवाने की बात कही है। मामले में उच्चाधिकारियों की भागीदारी तय
पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन के महासचिव अमनदीप सिंह ने कहा कि ग्रांट में गड़बड़ी का मामला सीधा फाइनांस अफसर के पद से लिक करता है। जिसके चलते यूनिवर्सिटी प्रशासन को चाहिए कि वह उच्चाधिकारियों की जांच भी जरूर करे, क्योंकि इस मामले में एक व्यक्ति नहीं बल्कि विभिन्न उच्चाधिकारियों की भागीदारी होगी।