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आनलाइन ठगी : 14 माह, थाने के 50 चक्कर, तब जाकर दर्ज हुआ केस

अगर आपके पास क्रेडिट कार्ड है तो ये खबर आपके लिए अहम है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 05:29 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 05:29 AM (IST)
आनलाइन ठगी : 14 माह, थाने के 50 चक्कर, तब जाकर दर्ज हुआ केस
आनलाइन ठगी : 14 माह, थाने के 50 चक्कर, तब जाकर दर्ज हुआ केस

प्रेम वर्मा, पटियाला

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अगर आपके पास क्रेडिट कार्ड है तो ये खबर आपके लिए अहम है। आज सुविधा के नाम पर बैंक आसानी से हर किसी को क्रेडिट कार्ड मुहैया करवा देते हैं। फिर चाहे कस्टमर को इसकी समझ हो या नहीं। ऐसे में कस्टमर की जरा सी लापरवाही उसे लाखों का चूना लगा सकती है। यही नहीं, इसके बाद इंसाफ पाने के लिए आपको पुलिस के पास 50 चक्कर भी लगाने पड़ सकते हैं। इसके बाद पुलिस केस दर्ज कब करेगी और आरोपितों को काबू कर पाएगी या नहीं, इसकी भी कोई गारंटी नहीं है।

कुछ ऐसा ही अर्बन एस्टेट फेज में रहने वाले अनुराग गुगलानी के साथ हुआ। अक्टूबर 2019 में ठगी का शिकार हुए अनुराग को 14 महीने में पुलिस ने 50 से अधिक चक्कर कटवाए। इसके बाद 20 जनवरी 2021 की शाम को आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज किया है। थाना अर्बन एस्टेट पुलिस ने मामले की जांच के बाद भासी कुमार निवासी बलदेव नगर राहों रोड बस्ती जोधेवाल लुधियाना, मातर प्रताप निवासी कैलाश नगर न्यू नंदा कालोनी जोधेवाल बस्ती, लुधियाना और दावर सिंह निवासी अमरजीत कालोनी गौतम नगर लुधियाना के खिलाफ केस दर्ज किया है। फिलहाल सभी फरार हैं।

पीड़ित अनुराग गुगलानी ने बताया कि वह बहादुरगढ़ स्थित एक फैक्ट्री में फाइनांस सेक्रेटरी है। उसके पास एसबीआइ का क्रेडिट कार्ड है। अक्टूबर 2019 को उसे पूजा नामक एक युवती का फोन आया, जिसने खुद को बैंक का मुलाजिम बताया। फोन करने वाली युवती के पास अनुराग के आधार कार्ड, पैन कार्ड सहित अन्य सभी डिटेल थी और उसने कहा कि कार्ड पर कुछ चार्जेस लग रहे हैं। इन चार्जेस को माफ करवाने के लिए ओटीपी शेयर करना होगा। कार्ड व अन्य सभी डिटेल युवती के पास होने पर अनुराग झांसे में आकर भरोसा करके नंबर शेयर करने लगे। दो से अधिक बार ओटीपी शेयर करने पर उसके खाते से एक लाख 27 हजार 721 रुपये निकाल लिए गए। इसी दौरान बैंक से सूचना मिली तो उन्होंने तुरंत ओटीपी शेयरिग बंद कर दी और बैंक को कंप्लेंट कर दी। आरोपितों ने कार्ड से पेमेंट निकालकर एक मोबाइल एप के जरिए पेमेंट आगे ट्रांसफर की थी। इसके बाद पैसा वापस पाने के लिए पुलिस को शिकायत दी थी लेकिन पुलिस ने लगातार चक्कर कटवाए लेकिन आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं की। उधर, जिस एप से पैसे आगे खातों में ट्रांसफर हुए थे उसके साथ तालमेल करके बैंक ने करीब 15 हजार रुपये वापस दिलवा दिए थे। सावधान रहें

ऐसे होती है कार्ड से आनलाइन ठगी

उक्त नामजद आरोपितों के नाम पर सिम कार्ड जारी करवाए गए थे, जिसके जरिए फोन काल व आनलाइन पेमेंट ट्रांजेक्शन वाली आईडी बनाई गई थी। आरोपित ग्राहकों से ओटीपी हासिल करने के बाद आनलाइन पेमेंट वाली मोबाइल एप्स के जरिए पैसे बैंक खातों में ट्रांसफर करते हैं। ग्राहक को झांसे में लेने के लिए आरोपित खुद को बैंक का मुलाजिम बताते हैं। दोगुनी परेशानी झेलनी पड़ रही

क्रेडिट कार्ड धारकों व बैंक खाता धारकों की डिटेल अक्सर ही सेंधमारी कर ठग हासिल कर लेते हैं। ऐसे में डिटेल पता होने की आड़ में ठग ग्राहकों को खुद को बैंक कर्मी बताकर झांसे में लेते हैं। ठगी के शिकार अनुराग ने बताया कि ओटीपी शेयर होने की बात कहते हुए बैंक ने सुनवाई नहीं की। ऐसे में बैंक कार्ड की पेमेंट उन्होंने जेब से भर दी क्योंकि यह जरूरी था। उधर, पुलिस थाने के चक्कर काटकर वह परेशान हैं, ऐसे में उन्हें डबल चूना लगा है। कार्डधारक इन बातों का रखें खास ध्यान

1. फोन पर लोग ओटोपी व बैंक डिटेल्स किसी भी हालत में शेयर न करें।

2. क्रेडिट कार्ड व डेबिट कार्ड का सीवीवी नंबर भी फोन पर न दें।

3. यदि कोई फोन पर बैंक डिटेल मांगता है या चार्ज लगने की बात करता है तो तुरंत बैंक से संपर्क करें।

4. ओटीपी शेयर करने पर ठगे गए पैसों की जिम्मेदारी बैंक नहीं लेता।

5. क्रेडिट कार्डधारक को फ्राड सेफ्टी के तहत बीमा देने का दावा करने वालों से सचेत रहना होगा।


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