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179 के बाद 800 गाड़ियों के दस्तावेजों पर डीटीओ के फर्जी हस्ताक्षर होने की संभावना

2016 में डीटीओ दफ्तर में जिला ट्रांसपोर्ट अफसर के फर्जी हस्ताक्षर से गाड़ियों की पा¨सग का मामला गर्मा गया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 12:04 AM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 12:04 AM (IST)
179 के बाद 800 गाड़ियों के दस्तावेजों पर डीटीओ के फर्जी हस्ताक्षर होने की संभावना
179 के बाद 800 गाड़ियों के दस्तावेजों पर डीटीओ के फर्जी हस्ताक्षर होने की संभावना

फोटो:46,47

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जागरण संवाददाता. पटियाला

2016 में डीटीओ दफ्तर में जिला ट्रांसपोर्ट अफसर के फर्जी हस्ताक्षर से गाड़ियों की पा¨सग का मामला गर्मा गया है। हालांकि जानकारी इस काम में दफ्तरी कर्मचारियों की मिलीभगत बता रहे हैं। पर मामले की पड़ताल में पता चलेगा कि दफ्तर के किस कर्मचारी द्वारा जिला ट्रांसपोर्ट अफसर (डीटीओ) के फर्जी हस्ताक्षर किए। हालांकि आने वाले समय में यह मामला एक ओर नया मोड लेने वाला है। इस मामले के साथ-साथ करीब 800 गाड़ियों के दस्तावेजों पर भी फर्जी हस्ताक्षर होने की संभावना जताई जा रही है। 179 गाड़ियों पर डीटीओ के फर्जी हस्ताक्षर के मामले की शिकायत ट्रांसपोर्ट विभाग के पास अगले हफ्ते पहुंचने की संभावना है। दूसरी ओर पूर्व डीटीओ गुरप्रीत ¨सह ¨थद भी इस मामले पर कार्रवाई के मूड में है। वही भी इस मामले की जानकारी डिपार्टमेंट अधिकारियों को देंगे। वहीं वह जानने के इच्छुक है कि किस व्यक्ति ने उनके फर्जी हस्ताक्षर किए। --क्या है नुक्स फार्म

जानकारी अनुसार गाड़ियों की पा¨सग करवाने के दौरान लगने वाले विभिन्न दस्तावेजों के बीच एक नुक्स फार्म भी लगाया जाता है। इस नुक्स फार्म में अगर गाड़ी में किसी प्रकार का नुक्स हो, के बारे में जानकारी दी जाती है। जिसके बाद गाड़ी में सामने आए नुक्स का दूर कर गाड़ी की पा¨सग करवानी पड़ती है। इस नुक्स फार्म में मौजूदा समय में आरटीए के साथ-साथ मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर व संबंधित कलर्क के हस्ताक्षर होते हैं। पिछले समय में आरटीए की जगह डीटीओ के हस्ताक्षर होते थे। जानकार बताते हैं कि मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर व संबंधित कलर्क के बाद आरटीए के हस्ताक्षर होते हैं। जानकार यह भी बताते हैं कि डाक संबंधित क्लर्क के पास एकत्रित होती थी। अब देखना यह है कि नुक्स फार्म पर जिला ट्रांसपोर्ट अफसर के फर्जी हस्ताक्षर किस कर्मचारी की मिलीभगत का नतीजा है। ---हस्ताक्षर में हेराफेरी

बता दें कि दैनिक जागरण टीम द्वारा एक तरफ 2016 में पास हुई गाड़ियों के नुक्स फार्म की पड़ताल की गई। वहीं दूसरी ओर 6 सितंबर 2018 के नुक्स फार्म को देखा गया क्योंकि गुरप्रीत ¨सह ¨थद 2016 में डीटीओ व 2018 में आरटीए पद पर काम कर रहे थे। टीम द्वारा जब दोनों फार्म पर किए डीटीओ के हस्ताक्षर को मिलाया गया तो हस्ताक्षर आपस में नहीं मिलते थे। हालांकि व्यक्ति ने अपने हस्ताक्षर डीटीओ के हस्ताक्षर से मिलाने की कोशिश की है।

पिछले समय में भी यही नियम अपनाया गया। जानकारी अनुसार 2016 में नुक्स फार्म पर पूर्व डीटीओ गुरप्रीत ¨सह ¨थद के हस्ताक्षर दिखाए गए हैं। गुरप्रीत ¨सह ¨थद पटियाला में आरटीए भी रह चुके हैं।


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