ऑफिस में बंद ट्रैफिक पुलिस के बॉडी कैमरे
ट्रैफिक पुलिस का काम बेहतर करने व पब्लिक के मिसबिहेव के आरोपों को सुबूत के लिए जिला ट्रैफिक पुलिस को बेशक बॉडी कैमरे दे दिए हों, लेकिन इनका इस्तेमाल डेढ़ साल के बाद भी सही तरीके से नहीं हो पा रहा।
प्रेम वर्मा,पटियाला
ट्रैफिक पुलिस का काम बेहतर करने व पब्लिक के मिसबिहेव के आरोपों को सुबूत के लिए जिला ट्रैफिक पुलिस को बेशक बॉडी कैमरे दे दिए हों, लेकिन इनका इस्तेमाल डेढ़ साल के बाद भी सही तरीके से नहीं हो पा रहा। इन कैमरों की बैटरी की चार्जिग करने के लिए किसी की जिम्मेदारी तय नहीं करना इसकी बड़ी वजह है। ऐसे में बॉडी कैमर ट्रैफिक पुलिस के ऑफिस में धूल फांक रहे हैं।
शनिवार को हवलदार भरपूर ¨सह व फौजी के बीच हुई बहस वाली घटना के बाद भी इन बॉडी कैमरों को चार्ज नहीं किया और रविवार को भी चारों कैमरे ऑफिस में ही पड़े रहे। कैमरों के प्रति बरती जा रही लापरवाही के कारण एक कैमरे की बैटरी डैड हो चुकी है। सूत्र बताते हैं कि बॉडी कैमरे करीब तीन हफ्ते से सही तरीके से इस्तेमाल न होने के कारण ट्रैफिक पुलिस के ऑफिस में ही पड़े हैं।
बॉडी कैमरों की क्वालिटी
जिला ट्रैफिक पुलिस को नवंबर 2017 में चार बॉडी कैमरे दिए थे। इन कैमरों को एएसआइ के कंधों पर फिट करते हैं और जरूरत पड़ने पर हेड कांस्टेबल भी लगा सकते हैं। कैमरे की वीडियो रिकॉर्डिग की क्षमता 16 जीबी तक है। कैमरे इंस्टाल करने वाली कंपनी का कहना है कि एक बार बैटरी पूरी तरह से चार्ज करने पर 10 से लेकर 14 घंटे तक कैमरे चालू रहेंगे। इस्तेमाल करने पर पता चला कि कैमरे आठ घंटे काम करते हैं, लेकिन इन्हें चार्ज करने के लिए किसी की ड्यूटी तय नहीं की है।
कैमरे के इस्तेमाल से होने वाले फायदे
1. निजी कामों को लेकर अकसर गायब होने वाले मुलाजिमों का पता लगाने के लिए।
2. ट्रैफिक मुलाजिमों की कार्यशैली व पब्लिक डी¨लग, ताकि कंट्रोवर्सी होने पर सच्चाई का पता लगाने के लिए।
3. ट्रैफिक पुलिस पर रिश्वत मांगने व पब्लिक के साथ गलत बर्ताव की शिकायत की सच्चाई का पता लगाने के लिए।