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राजिंदरा अस्पताल की माइक्रोबायोलॉजी लैब में10 में से 7 टेस्ट बंद

सरकारी रा¨जदरा अस्पताल में सेहत विभाग की तरफ से प्रचेज पॉलिसी लागू होने के बावजूद भी टेस्ट किटों की कमी जारी है। माइक्रोबाइलॉजी लैब में 10 मे से 7 अहम टेस्ट बंद हैं। जिसमें सीआरपी, विडाल, हैपेटाइट्स ए, हैपेटाइट्स बी, हैपेटाइट्स सी, आरए फैक्टर और वीडीआरएल शामिल हैं। अगर जल्द ही लैब में टेस्ट किटें मुहैया न करवाई गई तो ये चार टेस्ट भी बंद हो जाऐंगे, क्योंकि इन टेस्टों की भी कुछ किटें ही बची हैं। इन टेस्टों के बंद होने से अस्पताल में आ रहे मरीजों पर वित्तिय बोझ बढ़ रहा है। क्योंकि इन टेस्टों की कीमत रा¨जदरा अस्पातल की अपेक्षा में प्राइवेट लैब में कई गुना जयादा है। लेकिन अस्तपाल प्रशासन का कहना है कि खरीद शुरू हो चुकी है और जल्द ही किटों की कमी दूर हो जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 12:15 AM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 12:15 AM (IST)
राजिंदरा अस्पताल की माइक्रोबायोलॉजी लैब में10 में से 7 टेस्ट बंद
राजिंदरा अस्पताल की माइक्रोबायोलॉजी लैब में10 में से 7 टेस्ट बंद

जागरण संवाददाता, पटियाला : सरकारी रा¨जदरा अस्पताल में सेहत विभाग की तरफ से परचेजिंग पॉलिसी लागू होने के बावजूद टेस्ट किटों की कमी जारी है। जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि अस्पताल की माइक्रोबायोलॉजी लैब में 10 में से 7 अहम टेस्ट बंद हैं। अगर जल्द ही लैब में टेस्ट किटें मुहैया न करवाई गई तो ये तीन टेस्ट भी बंद हो जाएंगे, क्योंकि इन टेस्टों की भी कुछ किटें ही बची हैं। इन टेस्टों के बंद होने से अस्पताल में आ रहे मरीजों पर वित्तीय बोझ बढ़ रहा है। क्योंकि इन टेस्टों की कीमत रा¨जदरा अस्पातल की अपेक्षा में प्राइवेट लैब में कई गुना ज्यादा है, लेकिन अस्तपाल प्रशासन का कहना है कि खरीद शुरू हो चुकी है और जल्द ही किटों की कमी दूर हो जाएगी। विभाग ने दी थी परचेजिंग पावर

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बता दें पिछले लंबे समय से अस्पताल में टेस्ट किटों की कमी चल रही थी और किटों की कम सप्लाई के चलते अक्सर रा¨जदरा अस्पताल सुर्खियों में रहता था। इस परेशानी को दूर करने के मकसद से सेहत विभाग ने अस्पताल प्रशासन को परचेजिंग पावर दे दी थी। जिसके बाद अस्पताल अपने स्तर पर किटें खरीद सकता है, लेकिन परचे¨जग पावर मिलने के बावजूद भी किटों की कमी की समस्या जारी है। जानकारी के अनुसार सीआरपी (कोरिएक्टिव प्रोटीन) टेस्ट जिसके द्वारा खून में किसी भी प्रकार की इंफेक्शन का पता लगाया जा सकता है। इसकी किटें खत्म होने के चलते शुक्रवार को ये टेस्ट भी बंद हो गया।

केस स्टडी

दो दिन से लगा रहा हूं अस्पताल के चक्कर

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पिछले दो दिनों से हेपेटाइट्स टेस्ट करवाने के लिए आ रहा हूं। लेकिन रोज किटें खत्म होने का बहाना लगाकर वापिस भेज देते हैं। एक तो बीमारी से परेशान हूं। दूसरा दिहाड़ी का नुकसान भी हो रहा है, लेकिन पैसे न होने के कारण चाहकर भी बाहर से टेस्ट नहीं करवा सकता।

मोहन लाल निवासी सनौर फीस जमा करवाते समय पता चला कि टेस्ट नहीं होगा

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पिछले लंबे समय से बीमार हैं। डॉक्टर के पास चेकअप के लिए आए तो डॉक्टर ने सीआरपी टेस्ट करवाने की सलाह दी, लेकिन फीस भरने से पहले ही उन्हें कर्मचारियों ने टेस्ट किटें न होने का हवाला देकर फीस जमा करने से मना कर दिया।

.ननको, निवासी चन्नों ये टेस्ट लैब में हैं बंद

सीआरपी, विडाल, हेपेटाइट्स ए, हेपेटाइट्स बी, हेपेटाइट्स सी, आरए फैक्टर, वीडीआरएल।

माइक्रोबायोलॉजी में नहीं होने वाले टेस्टों की प्राइवेट और सरकारी रेट में तुलना

टेस्ट सरकारी फीस निजी लेबोरेटरी फीस

सीआरपी (कोरिएक्टिव प्रोटीन) 60 रुपये 400 रुपये

विडाल (टाइफाइड) 40 रुपये 100 रुपये

हेपेटाइट्स -ए 150 रुपये 600 रुपये

हेपेटाइट्स-बी 150 रुपये 450 रुपये

हेपेटाइट्स-सी 150 रुपये 400 रुपये

आरए फैक्टर (गठिया) 50 रुपये 100 रुपये

बैकटीरिया (वीडिआरएल) 50रुपये 100 रुपये

20 फीसद किटें खरीदी जा चुकी हैं : डॉ बीएस सिद्धू

परचेजिंग पॉलिसी के मिलने के बाद 20 प्रतिशत किटों की खरीद हो चुकी है और जल्द ही बाकी किटों को भी डिमांड के हिसाब से खरीदा जाएगा। कुछ टेस्ट आज दोबारा शुरू करवा दिए गए हैं और जिन टेस्टों की किटें नहीं आई उनकी मांग डीआरएमई से पास करवाकर जल्दी ही मंगवाई जाएंगी। कोशिश है कि एक हफ्ते के अंदर किटों की कमी पूरी हो जाए।

- डॉ. बीएस सिद्धू, ¨प्रसिपल मेडिकल कॉलेज


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