सच्चे शिष्य के मन में होता है श्रद्धा का वास : स्वामी कृष्णानंद
सूलर स्थित सद्गुरु धाम आश्रम में श्री राम कथा का आयोजन किया गया।
जेएनएन, पटियाला
सूलर स्थित सद्गुरु धाम आश्रम में श्री राम कथा का आयोजन किया गया। इस मौके पर स्वामी कृष्णानंद महाराज ने सदगुरु कबीर साहेब की साखी सुनाई। स्वामी ने सच्चे शिष्य के लक्षण पंजाब प्रदेश के अन्य भक्तों के समक्ष प्रकट किए। उन्होंने बताया कि सच्चे शिष्य के मन में श्रद्धा का वास होता है और वह निष्काम भाव से गुरु की सेवा करता रहता है। किसी भी शिष्य के लिए यह श्रेयकर है कि संदेह रहित सेवा करते करते एक ऐसी स्थिति आ जाए, जिसमें गुरु प्रसन्न होकर शिष्य को देश देशांतर में प्रचार करने के लिए भेज दे। जब ऐसी घटना घट जाए तो समझ लेना चाहिए कि शिष्य पर परमात्मा विशेष अनुकंपा बनी रहेगी और प्रकृति, एवं परिवार भी शिष्य को गुरु सेवा के उत्तरदायित्व को निभाने में सहयोग करेगी। बिहार के वाचस्पति मिश्र का उदाहरण देकर स्वामी ने समझाया, किस प्रकार 12 साल अपने गुरु की सेवा के पश्चात, गुरु दक्षिणा में वाचस्पति मिश्र ने वेदव्यास के ब्रह्मासूत्र पर व्याख्यान लिखा। इसके पश्चात वह धर्म प्रचार में निकल गए। इस उत्तरदायित्व को पूरा करने में उनकी पत्नी, भामती का विशेष योगदान रहा, जिसके चलते, वाचस्पति मिश्र ने ब्रह्मासूत्र को भामती ब्रह्मासूत्र का नाम दिया।
व्यक्ति अनेकों जन्म अपने मन के अधीन होकर बिताता है, परंतु समय के सद्गुरु सानिध्य में आने पर अपना तन मन धन दांव पर लगाना ही उसके हित में है। गुरु सेवा ही अमरत्व का एक मात्र साधन है।
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