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इनफॉर्मेशन कमिश्नरों पर खुद नियम का उल्लंघन करने के आरोप

पटियाला के एक आरटीआइ एक्टिविस्ट मनजीत सिंह ने पंजाब राज सूचना आयोग के कमिश्नरों पर आरटीआइ नियमों के उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Mar 2019 11:56 PM (IST)Updated: Mon, 04 Mar 2019 11:56 PM (IST)
इनफॉर्मेशन कमिश्नरों पर खुद नियम का उल्लंघन करने के आरोप
इनफॉर्मेशन कमिश्नरों पर खुद नियम का उल्लंघन करने के आरोप

जागरण संवाददाता, पटियाला

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पटियाला के एक आरटीआइ एक्टिविस्ट मनजीत सिंह ने पंजाब राज सूचना आयोग के कमिश्नरों पर आरटीआइ नियमों के उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। मनजीत ने इस मामले की शिकायत स्टेट इंफ्रमेशन कमिश्न के चीफ को शिकायत भेज इस मामले पर कार्रवाई करने की मांग की है। शिकायतकर्ता ने करीब 15 प्वाइंट लिखकर चीफ को कमिश्नरों के नियमों के उल्लंघन की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि कमिश्नर की कोर्ट में पेशी के दौरान किसी भी महकमे के लोक सूचना अधिकारी को हाजिर होना जरूरी नहीं समझा जाता। जब अपीलकर्ता ने कमिश्नर से लोक सूचना अधिकार के बारे में कुछ पूछा जाता है तो उन्हें कोई ठोस जवाब नहीं दिया जाता। कई केसों में अपीलकर्ता को यह कहकर टाल दिया जाता है कि जो सूचना मांगी है, बहुत ज्यादा है। इस कारण सूचना मुहैया नहीं करवाई जा सकती।

कांट्रैक्ट या फिर डाटा एंट्री आपरेटर हो रहे पेश

आरटीआई एक्टिविस्ट मनजीत सिंह ने कहा कि आरटीआइ की पेशी के दौरान कांट्रैक्ट कर्मचारी या फिर डाटा एंट्री आपरेटर ही पेशी भुगतकर चले जाते हैं। दफ्तर के किसी जिम्मेदार व सरकारी क्लर्क को पेशी पर आना चाहिए। अपीलकर्ता के एक-दो बार पेशी पर न जाने पर कमिश्नर अपनी मनमर्जी से विभिन्न केसों को बंद कर कर देते हैं। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में सिस्टम में सुधार की मांग की है।

इन प्वाइंटों को लेकर की शिकायत

--पेशी के दौरान लोक सूचना अधिकारी संबंधी नहीं पूछा जाता व लोक सूचना अधिकारी की ओर न ही कर्मचारी का नाम व ओहदा व उससे अथॉरिटी लेटर की मांग की जाती है।

--लोक सूचना अधिकार के बारे में पूछने पर कमिश्नर द्वारा यह कहकर टाल दिया जाता है कि आप अपने केस से संबंध रखें।

--कोर्ट पेशी में पहले क्लर्क, फिर चपरासी व तीसरी पेशी में डिपार्टमेंट का कोई ओर कर्मचारी पेश होता है। जिसके कारण अपीलकर्ता को सूचना लेने में काफी देरी का सामना करना पड़ता है।

--कोर्ट पेशी के दौरान अगर सूचना मुहैया करवाने वाला अधिकारी तीन-चार बार पेश नहीं होता, तो अपीलकर्ता की शिकायत भी कमिश्नरों द्वारा अधिकारी के खिलाफ कोई कारवाई नहीं की जाती। इससे सूचना लेने के लिए काफी समय इंतजार करना पड़ता है।

--कोर्ट पेशी के दौरान अगर अपीलकर्ता एक बार भी पेशी पर हाजर न हो तो कमिश्नर द्वारा बिना किसी सूचना के केस को बंद कर दिया जाता है।

--कमिश्नरों द्वारा सूचना देने वाले अधिकारी का पक्ष ज्यादा लिया जाता है। वहीं दूसरी ओर शिकायतकर्ता को कोई ज्यादा सहयोग नहीं दिया जाता।

--कोर्ट पेशी के दौरान कमिश्नरों द्वारा शिकायतकर्ता द्वारा मांगी सूचना को ज्यादा बताना, तीसरा पक्ष कहकर सूचना देने वाले अधिकारी का ज्यादा साथ दिया जाता है।

--विभिन्न कमिश्नरों द्वारा 30 दिन से ज्यादा की पेशी डाली जाती है।

--कोर्ट पेशी के दौरान कंप्लेट केस में अपीलकर्ता से यह कहा जाता है कि आप शिकायत मामले में पंजाब राज सूचना आयोग के पास न आएं। क्योंकि शिकायत मामले में सूचना मुहैया नहीं करवाई जा सकती।

--कोर्ट पेशी के दौरान सूचना मुहैया करवाने वाले अधिकारी को कारण बताओ नोटिस काफी समय बीत जाने के बाद जारी किया जाता है।

--कमिश्नरों द्वारा अपीलकर्ता को अधूरी सूचना मुहैया करवाई जाती है।

--समय पर सूचना न देने वाले अधिकारियों पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जाती।


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