आध्यात्मिक क्रांति नवयुग की रचना का आधार : स्वामी विष्णुदेवानंद
आध्यात्मिक क्रांति ही मनुष्य की आंतरिक चेतना में परिवर्तन करती है और यही नवयुग की रचना का आधार है। ये विचार दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से गांव मरदाहेड़ी में स्थित श्री गुरु रविदास मंदिर में आयोजित हुए तीन दिवसीय हरि जस कीर्तन दरबार की दूसरी सभा में स्वामी विष्णुदेवानंद जी ने कहे।
जेएनएन, पटियाला
आध्यात्मिक क्रांति ही मनुष्य की आंतरिक चेतना में परिवर्तन करती है और यही नवयुग की रचना का आधार है। ये विचार दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से गांव मरदाहेड़ी में स्थित श्री गुरु रविदास मंदिर में आयोजित हुए तीन दिवसीय हरि जस कीर्तन दरबार की दूसरी सभा में स्वामी विष्णुदेवानंद जी ने कहे। उन्होंने कहा कि भारत देश धर्म, दर्शन एवं प्रेम की जन्म भूमि है, जो दुनिया के हर क्षेत्र में अगुआई करने का सामर्थ रखता है। परंतु दुख का विषय यह है कि हम अपनी इस शक्ति को ही भूल बैठे हैं। हमारे महापुरुष इस शक्ति को जानते थे। इस कारण उन्होंने दृढ़ता से भारत को जगद्गुरु कहा। वह जानते थे कि हमारे देश की ताकत आध्यात्मिक ज्ञान है, जो व्यक्ति को जीवन जीने की शिक्षा देता है। इसके माध्यम से व्यक्ति के भीतर ऐसे गुण स्वाभाविक ही पैदा हो जाते हैं, जो मनुष्य और प्रकृति में संतुलन बनाते हुए सामाजिक उत्थान के लिए आवश्यक हैं। इस मौके भाई गुरप्रीत ¨सह एवं भाई हरदीप ¨सह ने प्रभु का कीर्तन कर संगत को निहाल किया। हरि जस कीर्तन दरबार की दूसरी सभा में नीला ¨सह, कुलदीप ¨सह भोला, रणजीत ¨सह, रजिन्द्र ¨सह, चरण ¨सह, ध्यान ¨सह, गुरचरण ¨सह, निर्मल ¨सह, दलजीत ¨सह, गुरजिन्द्र ¨सह, गुरजीत ¨सह, सेवा ¨सह, वरिन्द्र ¨सह, निधान ¨सह, धीरी ¨सह, दीपक कुमार, प्रिंस कुमार, हरीश कुमार एवं बाबू राम भी शामिल रहे।