ड्यूटी लगाई तो यूनिवर्सिटी से परमिशन ले सभी प्रोफेसर लड़ेंगे लोकसभा चुनाव
पंजाबी यूनिवर्सिटी में नॉन टीचिग स्टाफ की इलेक्शन ड्यूटी लगाने के मामले पर फिर विवाद खड़ा हो गया है।
बलविदरपाल सिंह, पटियाला
पंजाबी यूनिवर्सिटी में नॉन टीचिग स्टाफ की इलेक्शन ड्यूटी लगाने के मामले पर फिर विवाद खड़ा हो गया है। टीचिग स्टाफ ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को स्पष्ट कर दिया है कि अगर उनकी इलेक्शन ड्यूटी लगाई जाती है तो वह यह ड्यूटी नहीं करेंगे। इलेक्शन मामले को लेकर टीचिग स्टाफ की ओर से यूनिवर्सिटी में मीटिग की गई। मीटिग में शामिल सभी प्रोफेसर ने बाद में रजिस्ट्रार डॉ. मनजीत सिंह निज्झर से मुलाकात की। हालांकि रजिस्ट्रार से भी प्रोफेसरों को निराशा ही हाथ लगी। सूत्र बताते हैं कि रजिस्ट्रार ने इस मामले को लेकर अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। सोमवार को हुई प्रोफेसरों की बैठक में फैसला किया गया कि अगर जिला प्रशासन की ओर से प्रोफेसरों की इलेक्शन ड्यूटी लगाई जाती है, तो सभी प्रोफेसर यूनिवर्सिटी प्रशासन से परमिशन लेकर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। इस दौरान प्रोफेसरों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन उनकी मांग को अनदेखा कर रहा है। इस कारण प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रोफेसरों के हक में कोई उचित कदम नहीं उठाया। इस कारण प्रोफेसरों में यूनिवर्सिटी के खिलाफ रोष है। प्रोफेसर डॉ. गुरजंट सिंह, डॉ. बलदीप सिंह, डॉ. सरबजीत बराड़, गुरप्रीत बराड़, डॉ. सुखजिदर बुट्टर व परनीत कौर ने कहा कि पिछले समय में होने वाले इलेक्शन में यूनिवर्सिटी के टीचिग स्टाफ से किसी भी प्रोफेसर की ड्यूटी नहीं लगी। यूजीसी के नियम के अनुसार भी टीचिग स्टाफ की इलेक्शन ड्यूटी नहीं लगाई जा सकती। मगर यहां जिला प्रशासन ने इलेक्शन ड्यूटी के लिए यूनिवर्सिटी से टीचिग स्टाफ का ब्योरा मांगा गया है।
ये है मामला
जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव के चलते इस बार जिला चुनाव अफसर कम डिप्टी कमिश्नर कुमार अमित की ओर से पंजाबी यूनिवर्सिटी से टीचिग स्टाफ का ब्यौरा मांगा गया है। इस मामले को लेकर डीसी ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को करीब दो-तीन बार नोटिस भी भेज दिया है। बावजूद इसके यूनिवर्सिटी ने टीचिग स्टाफ का पूरा ब्योरा नहीं भेजा। इस कारण जिला प्रशासन अब यूनिवर्सिटी पर सख्ती के मूड में है। सूत्र बताते हैं कि डीसी ने फिर से यूनिवर्सिटी को नोटिस भेजकर टीचिग स्टाफ का ब्योरा भेजने को कहा है। गौरतलब है कि पिछले समय में हुए इलेक्शन में जिला प्रशासन के पास कर्मचारियों की कमी पड़ गई थी। इस बार इस तरह की परेशानी न हो इसलिए डीसी ने यह कदम उठाया।