पंजाब बोर्ड के स्कूलों में स्टूडेंट्स नहीं पढ़ेंगे फिजिकल एजुकेशन
सरकारी स्कूलों में अब से 9वीं और 10वीं के स्टूडेंट्स के लिए फिजिकल एजुकेशन सब्जेक्ट जरूरी नहीं रहा है। अब से स्टूडेंट्स को
गौरव सूद, पटियाला
सरकारी स्कूलों में अब से 9वीं और 10वीं के स्टूडेंट्स के लिए फिजिकल एजुकेशन सब्जेक्ट जरूरी नहीं रहा है। अब से स्टूडेंट्स को 8 विषयों के मुकाबले 7 विषय ही पढ़ने होंगे। जबकि, अगर स्टूडेंट्स फिजिकल एजुकेशन पढ़ने के इच्छुक होंगे तो वे अन्य 36 विषयों में से फिजिकल एजुकेशन को चुन सकते हैं। वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारी इस फैसले को सीनियर स्टूडेंट्स से स्टडी बर्डन कम करने के लिए लिया गया बता रहे हैं। वहीं दूसरी ओर अध्यापक जत्थेबंदियों में सरकार के इस फैसले प्रति भारी रोष है। अध्यापक जत्थेबंदियां इस फैसले को खेलों के रुझान को कम करने की बात कह रही हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार की ओर से शिक्षा विभाग का आकार कम करने के तहत साजिश करार दे रहे हैं।
इससे पहले रैशनलाइजेशन पॉलिसी के तहत राज्य के सरकारी मिडल स्कूलों में से विभाग ने पीटीआइ और आर्ट्स एंड क्राफ्ट अध्यापकों की पोस्टों को खत्म करने का फैसला लिया जा चुका है। दफ्तर डायरेक्टर शिक्षा विभाग पंजाब की ओर से जारी पत्र द्वारा जिस सरकारी मिडल स्कूल में 3 सेक्शन होंगे, वहां एसएस, साइंस, पंजाबी, ¨हदी 4 पोस्टें ही रहेंगी और बाकी पोस्टें मिडल में खत्म करके सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में भेजे जाएं। अध्यापक यूनियनों का तर्क है कि राज्य में 95 प्रतिशत मिडल स्कूलों में केवल तीन सेक्शन ही हैं और विभाग इनडायरेक्टली पोस्टें खत्म करना चाहता है। वहीं, अब 9वीं और 10वीं में कंपल्सरी सब्जेक्ट्स में से फिजिकल को हटाकर सरकार की मंशा साफ हो गई है। सरकार केवल शिक्षा विभाग के निजीकरण और आकार कम करने में जुटी है।
खेलों को प्रफुल्लित करने के बयान खोखले: डीटीएफ
डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के के नेता अ¨तदरपाल घग्गा और अमनदीप ¨सह ने कहा कि भारत सरकार ने खेलो इंडिया स्कीम के तहत शुरू किए प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों रुपये खर्च करके देश को अच्छे खिलाड़ी देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पर मुहिम चला रही है और पंजाब सरकार द्वारा भी राज्य में खेलों को प्रफुल्लित करने के लिए खेलो पंजाब के तहत स्पोर्ट्स पॉलिसी भी बनाई गई है। लेकिन, 9वीं और 10वीं में से कंपल्सरी सब्जेक्ट्स में से फिजिकल एजुकेशन को हटाने के फैसले के बाद सब दावे धरे रह गए।
स्कूलों के निजीकरण करने की साजिश के तहत खत्म की जा रही पोस्टें
अध्यापक सांझा मोर्चा के जिला कनवीनर विक्रमदेव ¨सह ने कहा कि सरकारी स्कूलों का निजीकरण करने की साजिश के तहत अध्यापकों की पोस्टें खत्म की जा रही हैं। वह दिन दूर नहीं जब सरकार सरकारी स्कूलों को चलाने के लिए एनजीओ और निजी कंपनियों के हवाले कर दिया जाएगा। इसके अलावा जब स्कूलों में अध्यापक नहीं होंगे तो स्टूडेंट्स की एडमिशन कम होंगी और कम एडमिशन होने का हवाला देकर बाद में इन स्कूलों को बंद कर दिया जाएगा। वहीं, दूसरी ओर सरकार के इस फैसले का स्टूडेंट्स पर भी बुरा असर पड़ेगा। विद्यार्थी पहले ही मोबाइल के कारण स्टूडेंट्स आउटडोर गेम्स से दूर हो गए थे। अब इस फैसले के बाद स्कूलों में खेल बंद हो जाएंगे और बच्चे शूगर और बीपी जैसी बीमारियों का शिकार होना होना शुरू हो जाएंगे।
स्कूल गेम्स पर नहीं पड़ेगा असर : डीपीआइ
ये फैसला केवल स्टूडेंट्स से लोड कम करने के मकसद से लिया गया है। लेकिन, इसका ये मतलब नहीं कि विभाग के इस फैसले से स्कूल में कैंपस एक्टिविटी में कोई कमी आएगी। कैंपस एक्टीविटीज पहले की तरह जारी रहेंगी।
इंदरजीत ¨सह, डीपीआइ