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शहर की सड़कों के बजाय थाने में धूल फांक रहे पीसीआर मोटरसाइकिल

शहर में घूमते समय यदि आपको कोई पीसीआर बाइक नजर नहीं आए तो हैरान होने की जरूरत नहीं है बल्कि नजदीकी पुलिस थाने में जाकर इन बाइक्स को देख सकते हैं। यह बाइक शहर में लोगों की मदद व सुरक्षा के बजाय पुलिस थानों में धूल फांक रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Jan 2019 08:50 PM (IST)Updated: Wed, 09 Jan 2019 08:50 PM (IST)
शहर की सड़कों के बजाय थाने में धूल फांक रहे पीसीआर मोटरसाइकिल
शहर की सड़कों के बजाय थाने में धूल फांक रहे पीसीआर मोटरसाइकिल

प्रेम वर्मा, पटियाला

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शहर में घूमते समय यदि आपको कोई पीसीआर बाइक नजर नहीं आए तो हैरान होने की जरूरत नहीं है बल्कि नजदीकी पुलिस थाने में जाकर इन बाइक्स को देख सकते हैं। यह बाइक शहर में लोगों की मदद व सुरक्षा के बजाय पुलिस थानों में धूल फांक रहे हैं। अधिकारियों की मानें तो मुलाजिमों की कमी के कारण पीसीआर के मोटरसाइकल पूरी तरह चल नहीं पाते हैं, वहीं दूसरी तरफ पीसीआर ¨वग का आंकड़ा देखे तो रोजाना 80 मुलाजिम डयूटी पर रहते हैं। यही नहीं जरूरत पड़ने पर थानों से भी मुलाजिम लेकर पीसीआर में तैनात करके पैट्रो¨लग करने के दावे किए जा रहे हैं, बावजूद इसके पुलिस थानों में पीसीआर की बाइक्स खड़ी रहती हैं। अब इसे मुलाजिमों की कमी कहें या व्यवस्था में लापरवाही लेकिन सच यही है कि इन दिनों पीसीआर के मोटरसाइकल पर शहर की सड़कों पर कम पुलिस थानों में ज्यादा नजर आएंगी। हालात यह हो गए हैं कि पिछले पांच सालों के दौरान पीसीआर को चार मोटरसाइकल मदद के रूप में डोनेट हुए थे। इन मोटरसाइकल को डोनेट करने वाले भी खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं।

00 दो मोटरसाइकल देने वाले फोकल पाइंट इलाके में नहीं होती गश्त

फोकल पाइंट इंडस्ट्री एसोसिएशन ने पीसीआर को दो बाइक्स डोनेट की थी ताकि उनके इलाके में गश्त के लिए मुलाजिमों को व्हीकल की समस्या न हो। यह बाइकस करीब तीन साल पहले दी थी लेकिन तीन सालों में इन बाइकस को तीस बार भी फोकल पाइंट में गश्त पर नहीं लगाया गया। हालत यह है कि यह दोनों मोटरसाइकल थाना सदर में खड़ी रहती हैं। तीन सालों में कई पुलिस अधिकारी बदले लेकिन पीसीआर ¨वग की तरफ किसी ने ध्यान तक नहीं दिया। थाने में खड़े यह मोटरसाइकल मुश्किल से ही स्टार्ट हो पाते हैं। कभी कभार इन बाइकस को चलाने की कोशिश भी की जाती है तो मुलाजिम इसे चलाने से कतराते हैं। इस वजह से दूसरी बीट के मुलाजिम को ही एक्सट्रा एरिया देते हुए पैट्रो¨लग के लिए बोल दिया जाता है। इसी तरह अन्य समाज सेवी संस्थाओं ने भी मोटरसाइकल दिए थे, जिनके हालात भी इसी तरह के हैं।

00 जरूरत पड़ने पर थानों से मुलाजिम लिए जाते हैं- पीसीआर इंचार्ज

पीसीआर इंचार्ज मदन कुमार ने कहा कि जरूरत पड़ने पर पुलिस थानों से मुलाजिमों को डयूटी के लिए ले लेते हैं। इन मुलाजिमों को पीसीआर व्हीकल की डयूटी पर लगा देते हैं ताकि पैट्रो¨लग में किसी भी तरह की कमी न रहे। मुलाजिमों की कमी के कारण कई तरह की परेशानियां होती हैं।


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