हाईवे पर मौत बनकर दौड़ रहे ओवरलोड वाहन
सुरक्षित यातायात को लेकर बने कानून पटियाला जिला में कागज तक सीमित हैं। सड़क सुरक्षा को लेकर ट्रांसपोर्ट विभाग कितना गंभीर है इसका अंदाजा कुछ मिनटों तक सड़क किनारे खड़ा होकर किया जा सकता है।
गौरव सूद. पटियाला
सुरक्षित यातायात को लेकर बने कानून पटियाला जिला में कागज तक सीमित हैं। सड़क सुरक्षा को लेकर ट्रांसपोर्ट विभाग कितना गंभीर है इसका अंदाजा कुछ मिनटों तक सड़क किनारे खड़ा होकर किया जा सकता है। ओवरलोड की बात करें तो इसे रोकने के लिए नियुक्त अधिकारियों को इससे कोई मतलब नहीं है। वाहन के ओवरलोड के एवज में वसूली का नजारा हर कोई देख नजरअंदाज कर जाता है। इससे विभाग भी निर्देशों का उल्लंघन कर यात्रियों की जान को जोखिम डालने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। हाइवे कितना सेफ है, ¨जदगी इसका जायजा लेने के लिए दैनिक जागरण की टीम ने पटियाला से पातड़ां तक का 60 किलोमीटर तक का सफर तय किया। इस सफर दौरान जितने मालवाहक वाहन मिले ज्यादातर सभी ओवरलोड के साथ-साथ ओवर स्पीड भी। अगर किसी इमरजेंसी में ओवरलोड वाहन को अचानक ब्रेक लगाने पड़ जाएं तो उसके जल्द रुकने की उम्मीद ना के बराबर है। यहीं बस ये वाहन एक दूसरे से आगे निकलने की निरंतर कोशिश कर रहे थे। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे ये वाहन रेस लगा रहे हों।
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ओवरलोड वाहनों से होती है दुर्घटनाएं
ओवरलोड वाहनों से दुर्घटना की संभावनाएं अधिक होती है। इसकी उदाहरण कुछ दिन पहले शंभू बोर्डर से पहले सड़क किनारे खड़े ट्रक जिसके बाहर गार्डर निकला हुआ था से कार टकराने से कार सवारों के गंभीर रुप से जख्मी होने से मिलती है। वहीं पातड़ां रोड पर तूड़ी से ओवरलोड ट्राली का पर्दा फटा हुआ था जिस कारण तूड़ी सड़क पर ही फैली हुई थी। अगर समय रहते इसका पता ना चलता तो बड़ा हादसा हो सकता था।
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टूटी सड़कों पर ओवरलोड वाहनों से जान को खतरा
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अनाज मंडी पातड़ां से मेन रोड तक आती रोड की हालत भी कुछ ठीक नहीं। सड़क पर बड़े बड़े गड्ढ़े हादसों को निमंत्रण दे रहे हैं। ओवरलोड वाहनों से यहां से गुजरने से किसी समय भी उनके पलटने का खतरा बना रहता है। दुताल-पातड़ा रोड की हालत तो इससे भी बुरी है। रोड पर राइस मिल होने के कारण वहां ओवर लोड वाहन अक्सर गुजरते रहते हैं। ऐसे में इस को पक्का ही नहीं किया गया। रोड कच्चा होने के साथ साथ समतल भी नहीं है। जिससे दुर्घटना के चांस भी ज्यादा बढ़ जाते हैं।