प्यार तेरा साडी ए जगीर ढोलणा, तेरे बूहे नच्चे तेरी हीर ढोलणा.
प्यार तेरा साडी ए जगीर ढोलणा, तेरे बूहे नच्चे तेरी हीर ढो़लणा..मशहूर कव्वाल शौकत अली दीवाना ने ज्यों ही यह कलाम शुरू किया तो पंजाब समेत कई राज्यों से आए ओशो संयासियों ने नाच नाच कर धरती से धूल उड़ा दी। जी हां, मौका था ओशो महापरिनिर्वाण दिवसस के मौके पर नगर निगम के साहिर लुधियानवी हाल में आयोजित ओशो महोत्सव का, जिसमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और कोलकत्ता से आए कलाकारों ने खूब रंग जमाया।
जागरण संवाददाता, पटियाला
प्यार तेरा साडी ए जगीर ढोलणा, तेरे बूहे नच्चे तेरी हीर ढो़लणा..मशहूर कव्वाल शौकत अली दीवाना ने ज्यों ही यह कलाम शुरू किया तो पंजाब समेत कई राज्यों से आए ओशो संयासियों ने नाच नाच कर धरती से धूल उड़ा दी। जी हां, मौका था ओशो महापरिनिर्वाण दिवसस के मौके पर नगर निगम के साहिर लुधियानवी हाल में आयोजित ओशो महोत्सव का, जिसमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और कोलकत्ता से आए कलाकारों ने खूब रंग जमाया।
कार्यक्रम की शुरूआत पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में म्यूजिक की प्रोफेसर सुजाति आनंद के सितार वादन से हुआ। इसके बाद पालीवुड ¨सगर नरेश बोबी ने बाबा बुल्ले शाह के कलाम से श्रोताओं को खूब नचाया। इसके बाद सितारवादक सुनील कांत सक्सेना की सितार की सुर लहरियों ने सामने बैठे ओशो प्रेमियों के रोंगटे खड़े कर दिए। अनहद जोत ने ज्यों ही माइक संभाला मानों समय रूक गया। उन्होंने तेरी आंखों में मुझे दिखा-अल्ला ही अल्ला, दमा दम मस्त कलंदर और गल्ल तेरी मेरी बणदी ए तां माइया सुनकर ऐसा जोश भरा कि सब बेसुध होकर नाचने लगे। इसके बाद दिल्ली साधना पथ के संपादक शशिकांत सदैव ने अपनी शायरी ने श्रोताओं को ओशो के ध्यान के साथ जोड़ा। सबसे आखिर में माइक संभाला बॉलीवुड गायक कमल खान के गुरू शौकत अली दीवाना एंड पार्टी ने। उन्होंने मैं किनूं किनूं दस्सा मेरे ओशो दीयां गल्लां समेत बाबा बुल्ले शाह, शाह हुसैन के कई कलाम सुनाकर श्रोताओं में जोश के साथ ऊर्जा का स्तर इतना ऊंचा कर दिया कि रात 8 बजे तक श्रोता झूमते रहे। आयोजक कपिल गुप्ता, नीरज रहेजा, भागीरथ और दर्पण ने आए हुए सभी मेहमानों को शॉल देकर सम्मानित किया। इस दौरान आधे घंटे का ओशो विडियो डिसकोर्स भी हुआ जिसमें ओशो ने आज के तनाव भरे माहौल में ध्यान की जरूरत को बेहद सरल तरीके से समझाया।