धनी लोगों ने ईमानदार दरोगा को पद से हटवाया
नार्थ जॉन कल्चरल सेंटर (एनजैडसीसी) में चल रहे मुंशी प्रेमचंद थिएटर फेस्टिवल में बुधवार को नाटक नमक दरोगा पेश किया गया। इसमें दर्शाया गया कि धन की ईमानदारी पर किस कदर जीत होती है।
जागरण संवाददाता, पटियाला
नार्थ जॉन कल्चरल सेंटर (एनजैडसीसी) में चल रहे मुंशी प्रेमचंद थिएटर फेस्टिवल में बुधवार को नाटक नमक दरोगा पेश किया गया। इसमें दर्शाया गया कि धन की ईमानदारी पर किस कदर जीत होती है। कहानी का मुख्य पात्र एक दरोगा है जो ईमानदारी के बल पर विभाग में अपना डंका बजवाता है। लेकिन, कुछ धन से धनी लोग अपने धन के बल पर उस ईमानदार दरोगा को उसके पद से भी हटवा देते हैं।
गरीब परिवार का बंशीधर अच्छे शगुन के समय घर से निकलकर जब दरोगा के पद के लिए जाता है तो उसे नौकरी मिल जाती है। हालांकि उस पद के लिए अच्छे-अच्छे पद पर बैठे लोग भी अपनी लालसा को छिपा नहीं पाते हैं। इसी दौरान बंशीधर एक नमक से भरी गाड़ी को रोकता है, जिसका मालिक पंडित आलोपी दीन दरोगा को धन का लालच दिखाकर अपनी गाड़ी छोड़ने को कहता है। लेकिन बंशीधर गाड़ी छोड़ने के बजाय पंडित को उसे हथकड़ी लगा देता है। उसके बाद अदालत में पंडित अपने धन के बल पर खुद को बाईज्जत बरी करवा लेता है, जबकि इज्जतदार पंडित को नमक की गाड़ी के साथ पकड़कर उसकी इज्जत खराब करने के आरोप में दरोगा को सस्पेंड कर दिया जाता है। समय बीतता है और एक दिन पंडित बंशीधर के घर जाता है और उसे अपने नमक के काम में बतौर मैनेजर पद के लिए काम करने की पेशकश करता है तो बंशीधर मान लेता है। उसके बाद पंडित बंशीधर को गले लगा लेता है। धिरेंद्र ¨सह रावत के निर्देशन में नाटक को सफल बनाने में भवानी ¨सह, कपिल अत्री, आर्यन यादव, कमनप्रीत ¨सह, रजनीश, राजू, अक्षय वढेरा, मनोज, शोभा कुमार, अशुल मुनीश किशन, रमा, कमल, गायत्री, अंकिता, तान्या व संतोष शर्मा का योगदान कहा ।