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स्थानीय मुद्दे पीछे छूटे, चर्चा कौन बनेगा प्रधानमंत्री

इस बार के चुनाव में कौन बनेगा प्रधानमंत्री यह मुद्दा सबसे बड़ा है। चुनाव देखकर ऐसा लगता है कि स्थानीय मुद्दे कहीं पीछे छूट गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 08:25 PM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 08:25 PM (IST)
स्थानीय मुद्दे पीछे छूटे, चर्चा कौन बनेगा प्रधानमंत्री
स्थानीय मुद्दे पीछे छूटे, चर्चा कौन बनेगा प्रधानमंत्री

जागरण संवाददाता, पटियाला

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इस बार के चुनाव में कौन बनेगा प्रधानमंत्री, यह मुद्दा सबसे बड़ा है। चुनाव देखकर ऐसा लगता है कि स्थानीय मुद्दे कहीं पीछे छूट गए हैं। जागरण टीम इस बारे में पड़ताल करने जब गांव लंग की चौपाल में पहुंची तो वहां पर बैठे लोग चुनाव चर्चा में लगे हुए थे। विकास वालिया से बात की गई तो वह बोले ऐसा लगता है की इस बार के चुनाव में स्थानीय मुद्दे कहीं पीछे छूट गए हैं। अब तो कौन बनेगा प्रधानमंत्री, लोग इस बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं।

इस बीच साथ में बैठे मोहन बोले, चाचा जाने दो, मैंने देखा है। जब से देश आजाद हुआ है। वही लोग, वही मुद्दे, वही नेता, वही देश, बदला है तो सिर्फ राजनेताओं का चरित्र। वोट मांगने से पहले कुछ और होते हैं और वोट मिलने के बाद कुछ और। क्या यह सही है। इतने में सुखविदर सिंह बोले, जाने दो अब तो वोटर अगर कुछ सोचे तो बात बने। वोटर को ही सोचना होगा कि वह अपने और देश का क्या भविष्य चाहता है। अगर वोटर सही वोट डाले और सही नेता का चुनाव करे तो सबका भला होगा। साथ में ही बैठे सोनू बोले, हां यह बात तो ठीक है। लेकिन अब वोटर क्या करे। आप दिल्ली की उदाहरण ही देख लो। आम आदमी पार्टी को लोगों ने जिताया। पंजाब में अच्छी सीटें भी मिली। इस पार्टी ने पंजाब से ही खाता खोला था लेकिन पांच साल में ही पार्टी का क्या हाल हो गया।

पिछली काफी देर से चुप बैठे लाल सिंह लंबी सांस लेते हुए बोले, अब तुम ही बताओ क्या करें। क्या नोटा का बटन दबाने से काम पूरा हो जाएगा। इस बार भी कितने ही नेता ऐसे हैं, जिन पर आपराधिक केस दर्ज हैं। लेकिन इनका हौसला तो देखो। फिर से लोगो से वोट मांगने आ जाते हैं और लोगो का कमाल देखो वो वोट भी डालते है। समझ नहीं आता कि देश कौन सी दिशा में जा रहा है। इस बीच हरिदर सिंह बोले कि एस बात बतायो जो गलती हमारे बुर्जुग करते रहे। क्या अब हम भी वैसा ही करें। इससे पहले केवल एक पार्टी राज करती थी, लेकिन अब नई पार्टियां मैदान में आ रही हैं। आजद लोग भी चुनाव लड़ रहे है। क्या इनमें से कोई भी ठीक नहीं है। नोटा किसी भी बात का समाधान नहीं है। इस का जवाब जरूर देना और सोच कर देना। इतना ही नहीं वोट डालने से पहले एक बार सोचना जरू।

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