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गुरु नानक देव जी की विरासत संभालने में पटियाला रियासत का अहम योगदान

पटियाला पटियाला रियासती घराने का अपना अमूल्य और अमीर इतिहास रहा है। उसका गुरु नानक देव जी की विरासत संभालने में भी अहम रोल रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 12:15 AM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 12:15 AM (IST)
गुरु नानक देव जी की विरासत संभालने में पटियाला रियासत का अहम योगदान
गुरु नानक देव जी की विरासत संभालने में पटियाला रियासत का अहम योगदान

दीपक मौदगिल, पटियाला

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पटियाला रियासती घराने का अपना अमूल्य और अमीर इतिहास रहा है। साल 1947 में विभाजन के समय महाराजा यादविदर सिंह ने सबसे पहले अपनी रियासत को भारत के साथ मिलाने का फैसला किया, जिसके बाद अन्य रियासतों ने भी इस पर सहमति जताई। पटियाला के शाही घराने ने सभी धर्मो के धार्मिक स्थानों को बनाने पर इनकी संभाल रखने में भूमिका निभाई है। इस साल श्री गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है और गुरु नानक देव जी के साथ संबंधित मुख्य गुरुद्वारों से पटियाला के शाही घराने का गहरा संबंध है। श्री गुरु नानक देव जी की विरासत को संभालने में भी इसका अहम योगदान रहा है।

गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब करतारपुर की इमारत बनवाई : पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब करतारपुर जहां गुरु नानक साहिब जी ने अपनी जिदगी का आखिरी समय गुजारा था, की मौजूदा इमारत पटियाला के महाराजा भुपिदर सिंह ने उस समय 1,35,600 रुपये की राशि से बनवाई थी। जिस स्थान पर गुरु नानक देव जी ने कंधारी का अहंकार तोड़ा था, उस जगह पर गुरुद्वारा पंजा साहिब सुशोभित हैं। इस गुरुद्वारा साहिब के नए सरोवर का नींव पत्थर 14 अक्टूबर, 1932 में महाराजा यादविदर सिंह की तरफ से ही रखा गया था। सुल्तानपुर लोधी में स्थित गुरुद्वारा श्री बेर साहिब, जहां गुरु नानक देव जी का परमात्मा के साथ मेल हुआ था और यहीं उन्होंने अपनी उदासियों का आरंभ करने से पहले मूल मंत्र का उच्चारण किया, इस पवित्र गुरुद्वारा साहिब की इमारत का उद्घाटन भी पटियाला रियासत के महाराजा यादविदर सिंह की तरफ से किया गया था।

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रास्ता खोलने के लिए साल 2005 में की थी चर्चा

पटियाला शाही रियासत से संबंधित व मौजूदा मुख्यमंत्री कै. अमरिदर सिंह साल 2002 में पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने। इसी कार्यकाल के दौरान कै. अमरिदर सिंह ने जहां अमृतसर से मानावाला सड़क की शुरुआत करवाई, वहीं पाकिस्तान में करतारपुर रास्ता खोलने की बातचीत भी चलाई थी। कै. अमरिदर ने साल 2005 में ननकाना साहिब से अमृतसर के मानावाला से सीधी सड़क का उद्घाटन किया गया था। इस साल श्रद्धालुओं का अधूरा सपना पूरा होने जा रहा है और करतारपुर रास्ता खुलने जा रहा है। इसमें भी कैप्टन का बड़ा योगदान रहा।

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कर्मो वाले हैं, परिवार के हिस्से पवित्र स्थान की सेवा आई

पटियाला रियासत के परिवार ने न सिर्फ गुरुद्वारा बल्कि हर तरह के धार्मिक स्थान जैसे पटियाला के श्री काली माता मंदिर, फतेहगढ़ साहिब में रोजा शरीफ दरगाह और अन्य धार्मिक स्थानों को बनाने और संभालने में अपना योगदान डाला है। मुख्यमंत्री कै. अमरिदर ने सोशल मीडिया पर करतारपुर साहिब से संबंधित पूर्वजों की याद ताजा करते हुए कहा है कि करतारपुर साहिब के साथ उनका एक रूहानी रिश्ता है और रहती जिदगी तक रहेगा। उन्होंने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि उनके परिवार के हिस्से गुरु नानक देव जी के साथ संबंधित पवित्र स्थान की सेवा निभाने की सेवा आई।


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