फव्वारा चौक से बस स्टैंड तक बना पायलट कॉरिडोर, तो नहीं होंगे हादसे
फव्वारा चौक से लेकर बस स्टैंड तक पायलट कॉरिडोर बनता है तो ट्रैफिक स्मूथ रहेगा और सड़क हादसों में किसी की जान नहीं जाएगी।
जागरण संवाददाता, पटियाला
फव्वारा चौक से लेकर बस स्टैंड तक पायलट कॉरिडोर बनता है तो ट्रैफिक स्मूथ रहेगा और सड़क हादसों में किसी की जान नहीं जाएगी। आइआइटी दिल्ली के स्टूडेंटस के तैयार किए पायलट प्रोजेक्ट में पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक साल 2013 से 2016 तक पटियाला में सड़क हादसों में 249 लोगों की जान गई। इनमें सबसे अधिक बाइक सवार और पैदल राहगीरों को जान से हाथ धोना पड़ा। रिपोर्ट के मुताबिक हेड पोस्ट ऑफिस रोड, बस स्टैंड और राजपुरा रोड सबसे अधिक संवेदनशील हैं।
पायलट कॉरिडोर के दूसरे चरण में काम करते हुए आइआइटी दिल्ली के स्टूडेंट्स ने रविवार को फव्वारा चौक पर प्लास्टिक के एंगल लगाकर स्लिप रोड तैयार किए। वहीं सड़क पर हाईलाइट्स बनाकर ट्रैफिक डाइवर्शन, जैबरा क्रा¨सग सेट की। स्टूडेंट रुचि वर्मा और समर्थ ¨सह चौहान ने कहा कि प्लान को कुछ दिनों तक फोलो किया जाएगा और इसके प्रभाव देखे जाएंगे।
सबसे अधिक बाइक और पैदल प्रभावित
साल 2013 से 2016 तक के आंकड़ों में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या बाइक सवार और पैदल राहगीरों की रही। पुलिस आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि के दौरान विभिन्न सड़क हादसों में जिन वाहनों के कारण हुई क्षति उसमें
- रोजमर्रा के लिए 34 प्रतिशत लोग बाइक इस्तेमाल करते हैं और हादसे 48 प्रतिशत हुए।
- साइकिल का इस्तेमाल 25 प्रतिशत लोग करते है और 11 प्रतिशत हादसों से प्रभावित हुए
- 21 प्रतिशत लोग पैदल काम से जाते है और 23 प्रतिशत दुर्घटना का शिकार हुए।
- 8 प्रतिशत लोग कार का इस्तेमाल करते है और 6 प्रतिशत के साथ हादसे हुए।
आने-जाने के लिए वाहनों के इस्तेमाल की जानकारी के लिए सांय 6 बजे से 12 बजे तक वीडियो रिकार्डिंग की गई। सड़क व्यवस्था में खामियां
स्टूडेंट्स की ओर से पहले फेस में किए गए सर्वे के मुताबिक सीएम सिटी के फव्वारा चौंक से बस स्टैंड तक के रास्ते कई खामियां पाई गई हैं। इनको दूर करने के लिए पायलट कॉरिडोर डिजाइन किया गया है। सर्वे के मुताबिक इन रास्तों में हॉ¨कग और पार्किंग व्यवस्था नहीं है। जैबरा क्रा¨सग न होने के कारण तेज वाहनों की रफ्तार पर नजर नहीं है। फव्वारा चौक पर साइन, क्रेव, राउंड अबाउंट प्रबंधन (जंक्शन ज्योमेटरी) न होने के कारण ट्रैफिक अव्यवस्थित रहता है। यदि पायलट कॉरिडोर लागू होता है तो सभी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। (बाक्स)
..अब प्रशासन की मंजूरी का इंतजार दिल्ली आईआईटी से प्रोफेसर गीतम तिवारी और दिनेश मोहन के संरक्षण में स्टूडेंट इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। रविवार दिन भर काम से बाद सांय तक फव्वारा चौंक को ट्रैफिक कंट्रोल और स्मूथ बनाने के लिए तैयार किया गया। अब आईआईटी की टीम को इंतजार है तो प्रशासनिक अधिकारियों की मंजूरी का। जिसके लिए थापर यूनिवर्सिटी में सोमवार को सेमीनार का आयोजन किया गया है, जिसमें पटियाला के डिप्टी कमिश्नर, नगर निगम कमिश्नर को निमंत्रित किया गया है। प्रोजेक्ट की सफलता पर निर्भर करता है कि जिला प्रशासन इस को पटियाला में लागू करे।
--संजय वर्मा--