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स्वाइन फ्लू का मामला आया सामने, सेहत महकमे की रेपिड रिस्पांस टीम हरकत में

स्वाइन फ्ल्यू के मामले में सेहत विभाग की टीम ने किया एरिया का दौरास्वाइन फ्ल्यू के मामले में सेहत विभाग की टीम ने किया एरिया का दौरा

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 12:08 AM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 12:08 AM (IST)
स्वाइन फ्लू का मामला आया सामने, सेहत महकमे की रेपिड रिस्पांस टीम हरकत में
स्वाइन फ्लू का मामला आया सामने, सेहत महकमे की रेपिड रिस्पांस टीम हरकत में

जागरण संवाददाता. पटियाला

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नाभा में एक 50 वर्षीया महिला को स्वाइन फ्लू होने के मामले को लेकर जिला सेहत विभाग द्वारा मेडिकल अफसरों की अगुवाई में एक रैपिड रिस्पांस टीम नाभा के लिए रवाना की गई। इस दौरान टीम द्वारा संबंधित इलाके का सर्वे किया गया है। सर्वे दौरान जांच में पाया गया कि यह मरीज जोकि 6 सितंबर को वृंदावन गया था, को वापिस आने के बाद बुखार व खांसी, जुकाम हो गया था। हालत बिगड़ने पर मोहाली अस्पताल में दाखिला करवाया गया। इस दौरान टीम मैंबरो द्वारा पीड़ित महिला के पारिवारिक मेंबरों से पूछताछ की गई। पूछताछ से पता चला कि महिला शुगर की बीमारी से पीड़ित है ओर वृंदावन से वापिस आने के बाद ही वह बीमार हुई। सर्वे टीम द्वारा आसपास के घरों में रहने वाले लोगों से भी बीमारी संबंधी बातचीत की गई। मरीज के संपर्क में आने वाले 9 प्राइमरी कंटैक्स को टैमीफ्लू गोलियां खाने के लिए दी गई। जिला स्वाइन फ्ल्यू के चार सैंपल नेगेटिव

जिला में अब तक स्वाइन फ्ल्यू के चार मरीजों के सैंपल लिए गए। इन सैंपलों की जांच दौरान यह सैंपल नेगेटिव पाए गए। सिविल सर्जन डा.मनजीत ¨सह ने बताया कि लगता है कि महिला मरीज भी सफर के दौरान बीमार हुई। उन्होंने बताया कि रा¨जदरा अस्पताल, माता कौशल्या अस्पताल व सब डिविजन अस्पतालों में स्वाइन फ्लू वार्ड बनाए गए हैं। जहां स्वाइन फ्लू की दवाईयां, पीपीई किट्स व वीटीएम उपब्लध है। इस दौरान डा.गुरमीत ¨सह ने स्वाइन फ्लू की कैटेगरी ए,बी और सी बारे जानकारी देते बताया कि कैटेगरी ए के मरीज को खांसी, जुकाम व हलका बुखार होता है। मरीज को कोई दवा नहीं नहीं दी जाती। तरल पदार्थ का प्रयोग करने को कहा जाता है

मरीज को घर में आराम करने व अच्छी खुराक व तरल पदार्थ का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करने के लिए कहा जाता है। कैटेगरी बी में मरीज को खांसी, जुकाम के साथ तेज बुखार होता है इसके साथ बीमारियों से लड़ने की शक्ति कम हो जाती है। जैसे कि दिल, गुर्दे, लीवर व शूगर के मरीज, 60 साल से ज्यादा आयु वाले व्यक्ति, जो स्टेरॉयड्स थैरेपी पर है, को कोई गंभीर बीमारी के साथ पीड़ित है, को टैमीफ्लू दवा देने की जरूरत है। ए ओर बी कैटेगरी के लिए कोई टेस्ट की जरूरत नहीं। कैटेगरी सी के मरीज को सांस लेले में तकलीफ, बलगम में खून, हाथ व पैरों के नाखुन नीले होने लगते हैं, को अस्पताल में दाखिल होना चाहिए। जहां उनके टेस्ट लेकर दवा शुरू की जाती है।


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