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एनआरआइ की सहायता से बनेंगे राज्य के स्कूल स्मार्ट

शिक्षा विभाग ने राज्य के करीब तीन हजार सरकारी प्राइमरी, मिडिल, हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को स्मार्ट स्कूल के तौर पर तैयार करने के बाद बचे स्कूलों को एनआरआइज के सहयोग से स्मार्ट बनाने की तैयारी कर ली है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Feb 2019 07:57 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 07:57 PM (IST)
एनआरआइ की सहायता से बनेंगे राज्य के स्कूल स्मार्ट
एनआरआइ की सहायता से बनेंगे राज्य के स्कूल स्मार्ट

गौरव सूद, पटियाला

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शिक्षा विभाग ने राज्य के करीब तीन हजार सरकारी प्राइमरी, मिडिल, हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को स्मार्ट स्कूल के तौर पर तैयार करने के बाद बचे स्कूलों को एनआरआइज के सहयोग से स्मार्ट बनाने की तैयारी कर ली है। इसके पहले चरण में एनआरआइ तरलोचन ¨सह डैलवर यूएसए नवांशहर के पांच स्कूलों को समार्ट स्कूल बनाने में सहयोग दे रहे हैं। इनमें भारटा खुर्द, भारटा कलां, बजीद पुर, गुरु नानक पुरा, कंग शामिल हैं। वहीं 13 फरवरी को नवां शहर से मुहिम का आगाज करते हुए एनआरआइ 10 सरकारी स्कूलों को समार्ट स्कूल बनाने के लिए सामान देंगे। बता दें कि गत दिनों विदेशों में बसे पंजाबियों ने भी सरकारी स्कूलों को सुंदर बनाने और अन्य जरूरी सहूलियतें देने के लिए भी अपने हाथ आगे बढ़ाए हैं। इसी मकसद से शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार की ओर से मुख्य दफ्तर एनआरआइ को निमंत्रित किया और एनआरआइ ने राज्य के सरकारी स्कूलों की नुहार बदलने के लिए भरपूर सहयोग देने का भरोसा दिया।

एनआरआइ देते हैं फंड, नहीं होता था सही इस्तेमाल

विभाग का मानना है कि अपने गांव के स्कूलों से एनआरआइज का खास लगाव होता है। इसके तहत एनआरआइज हर साल जब अपने गांव लौटते हैं तो स्कूल की सहायता करते हैं। उनके द्वारा कई ऐसी चीजें स्कूल को डोनेट कर दी जाती हैं, जिसकी स्कूल को जरूरत नहीं होती और इस हिसाब से एनआरआइ पैसे भी खर्च कर देते हैं और स्कूल को कुछ खास फायदा भी नहीं होता। इसी मकसद से इन फंडज को यूटीलाइज करने के लिए विभाग ने अपने स्तर पर एनआरआइ तक पहुंच करके स्कूलों उनके डोनेशन को यूटीलाइज करने की कोशिश की है। ताकि फंड यूटीलाइज हो सकें और स्कूलों को भी इसका फायदा मिले। प्राइवेट स्कूलों से मुकाबले के सक्षम हो जाएंगें सरकारी स्कूल : शिक्षा सचिव

शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार ने कहा कि पंजाब के सरकारी स्कूलों के अध्यापक मेहनती और तुजुर्बेकार हैं। ऐसे में अगर एनआरआइ से स्कूल को आर्थिक सहायता मिल जाती है तो राज्य के स्कूल प्राइवेट स्कूलों का मुकाबला करने में पूरी तरह से सक्षम हो जाएंगे।


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