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ग‌र्ल्स हॉस्टल का समय नहीं बढ़ा तो ब्वायज हॉस्टल का समय होगा कम

ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स की ओर से जेंडर इक्वेलिटी पर एडवोकेट जनरल अतुल नंदा से सवाल किया कि ब्वायज हॉस्टल रात 1 बजे तक और ग‌र्ल्स हॉस्टल का समय रात 9 बजे तक क्यों?

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Mar 2019 12:31 AM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 12:31 AM (IST)
ग‌र्ल्स हॉस्टल का समय नहीं बढ़ा तो ब्वायज हॉस्टल का समय होगा कम
ग‌र्ल्स हॉस्टल का समय नहीं बढ़ा तो ब्वायज हॉस्टल का समय होगा कम

गौरव सूद.पटियाला

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ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स की ओर से जेंडर इक्वेलिटी पर एडवोकेट जनरल अतुल नंदा से सवाल किया कि ब्वायज हॉस्टल रात 1 बजे तक और ग‌र्ल्स हॉस्टल का समय रात 9 बजे तक क्यों? इस पर चुटकी लेते हुए एडवोकेट जनरल ने भी कहा कि बिलकुल ठीक वह ग‌र्ल्स हॉस्टल का समय अगर बढ़वा नहीं सकते तो ब्वायज हॉस्टल का समय ग‌र्ल्स हॉस्टल के बराबर कर दिया जाएगा। इस पर ब्वायज स्टूडेंट्स भौचक्के रह गए और अतुल नंदा की हाजिर जवाबी के स्टूडेंट्स कायल हो गए। मौका था राजीव गाधी लॉ यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स की स्ट्राइक खत्म करवाने का, जहा स्टूडेंट्स से चर्चा करने पहुंचे थे एडवोकेट जनरल अतुल नंदा। वहीं इस दौरान स्टूडेंट्स अतुल नंदा की बातें मानते हुए कुछ कॉम्प्रोमाइज करने के बावजूद हड़ताल खत्म करने को राजी हो गए।

लॉ यूनिवर्सिटी में घटिया क्वालिटी के खाने के बाद प्रदर्शन कर रहे 6 स्टूडेंट्स को सस्पेंड करने के बाद शुरू हड़ताल यूनिवर्सिटी अथॉरिटी के लिए गले की हड्डी बन गया था। स्टूडेंट्स किसी भी कीमत पर हड़ताल खत्म करने को तैयार नहीं थे। जिसके चलते चासलर कम चीफ जस्टिस द्वारा पहले जस्टिस ग्रोवर की अध्यक्षता में टीम यूनिवर्सिटी भेजी जिसे खाली हाथ वापिस लौटना पड़ा। इसके बाद मंगलवार को चीफ जस्टिस द्वारा एडवोकेट जनरल अतुल नंदा को यूनिवर्सिटी कैंपस भेजा। जिन्होंने स्टूडेंट्स एलुमिनी और जस्टिस ग्रोवर की अध्यक्षता में बनी टीम द्वारा लिए फैसले ही स्टूडेंट्स का विश्वास जीत लागू करवाते हुए हड़ताल खत्म करवा दी। बता दें कि इससे पहले भी एलुमिनी और जजों की टीम द्वारा इसी प्रपोजल को आधार बनाकर हड़ताल करने के लिए स्टूडेंट्स से मीटिंग की गई थी। लेकिन स्टूडेंट्स ने प्रपोजल रिजेक्ट कर दिया था।

(बॉक्स)

अपनी स्टूडेंट लाइफ की उदाहरणें देकर जीता स्टूडेंट्स का विश्वास

इस दौरान एजी अतुल नंदा स्टूडेंट्स का विश्वास जीतने के लिए खुद अपनी स्टूडेंट लाइफ पर पहुंच गए। जहा उन्होंने अपनी स्टूडेंट लाइफ से जुड़े कुछ अंश राजीव गाधी यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स के साथ साझे किए। जिससे स्टूडेंट्स को यकीन हो गया कि वो उनके पक्ष की ही बात करेंगे। वहीं खुद को स्टूडेंट्स का रिप्रिजेंटेटिव बताते हुए विश्वास जीता और हड़ताल को खत्म करवाने में कामयाब रहे।


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