बेमौसमी बरसात के कारण नमी का मात्रा में स्पेशल छूट की मांग
प्रदेश में गेहूं का सीजन के शुरू होते ही हुई बरसात ने किसानों को मुश्किल में डाल दिया है।
संजय गर्ग, पातड़ां
प्रदेश में गेहूं का सीजन के शुरू होते ही हुई बरसात ने किसानों को मुश्किल में डाल दिया है। गौरतलब है कि गेहूं की खरीद के समय सरकारी मापदंडों के अनुसार नमी की मात्रा 12 प्रतिशत रख पाना नामुमकिन है। इस कारण किसानों, आढ़तियों और सभी खरीद एजेंसियों को बहुत मुश्किल पेश आ रही है। किसानों व आढ़तियों की ओर से नमी का मात्रा कम करने के लिए फसल को मंडियों में बिछाया जा रहा है, परंतु जगह की कमी व मौसम में नमी होने के कारण गेहूं की फसल में नमी का मात्रा कम नही हो पा रही है।
सरकार को 15 प्रतिशत करनी चाहिए गेहूं में नमी की मात्रा के मापदंड : निशान सिंह
अनाज मंडी में अपनी गेहूं की फसल बेचने आए किसान निशान सिंह ने बताया कि पहले फसल कटने के बाद 2-3 दिन खेतों में पड़ी रहती थी, परंतु आज के मशीनी युग के कारण फसल की कटाई कंबाइन आदि से होने के कारण फसल को तुरंत अनाज मंडी में बेचने के लिए लेकर आने के कारण नमी की मात्रा 12 प्रतिशत रख पाना मुश्किल है। नमी की मात्रा 12 प्रतिशत न होने के कारण कई बार किसानों की आढ़तियों व खरीद एजेंसियों के साथ तकरारबाजी हो जाती है। सरकार को समय के बदलाव के हिसाब से गेहूं में नमी की मात्रा 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करनी चाहिए।
किसान बलविदर सिंह ने बताया कि इस समय गेहूं का सीजन पूरे जोरो पर है और पिछले दिनी हुई बरसात के कारण गेहूं में नमी की मात्रा का ज्यादा होना निश्चित है। उन्होंने बताया कि बरसात होना या ना होना किसी इंसान के हाथ में नहीं है यह तो प्राकृतिक के हिसाब से होती है और गेहूं में नमी की ज्यादा मात्रा किसान, आढतियो व खरीद एंजिसीयो के लिए सिरदर्द का कारण बन गई है। उन्होंने इस समस्या को देखते हुए सरकार से नमी की मात्रा मे छुट देने की मांग की है।
नमी का कम या ज्यादा होना किसान के हाथ में नहीं : हरभजन सिंह धुहड़
किसान नेता हरभजन सिंह धुहड ने बताया कि नमी की मात्रा का कम या ज्यादा होना किसान के हाथ में नहीं है। नमी की मात्रा ज्यादा होने के कारण किसानों को मंडियों में परेशान होना पड़ता है। खरीद नहीं होने के कारण मंडियों में फसल के ढेर लगने शुरू हो गए हैं और अगर दोबारा से मौसम खराब हो गया तो किसानों को ओर भी ज्यादा मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। सरकार को नमी की मात्रा मे छूट देनी चाहिए।