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मजदूरी से पढ़ाई पूरी कर टीईटी पास करने के बावजूद नहीं मिली नौकरी

पहले खुद मजदूरी कर 2006-2008 बैच में ईटीटी की और 2007 में मजदूरी के साथ-साथ टीचर इलिजीबिलटी टेस्ट की तैयारी कर उसे पास किया। पिता भी मजदूरी करते थे सोचा था पढ़ लिखकर कोई अच्छी नौकरी मिल जाएगी और उनकी ¨जदगी बदल जाएगी। 4 बहनों और बूढ़े मां-बाप की जिम्मेदारी भी उस पर ही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Sep 2018 08:08 PM (IST)Updated: Sun, 02 Sep 2018 08:08 PM (IST)
मजदूरी से पढ़ाई पूरी कर टीईटी पास करने के बावजूद नहीं मिली नौकरी
मजदूरी से पढ़ाई पूरी कर टीईटी पास करने के बावजूद नहीं मिली नौकरी

गौरव सूद, पटियाला

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पहले खुद मजदूरी कर 2006-2008 बैच में ईटीटी की और 2007 में मजदूरी के साथ-साथ टीचर इलिजीबिलटी टेस्ट की तैयारी कर उसे पास किया। पिता भी मजदूरी करते थे सोचा था पढ़ लिखकर कोई अच्छी नौकरी मिल जाएगी और उनकी ¨जदगी बदल जाएगी। 4 बहनों और बूढ़े मां-बाप की जिम्मेदारी भी उस पर ही है। प्राइवेट स्कूल में मात्र दो से तीन हजार रुपये की नौकरी मिलती है, जिससे परिवार का गुजारा चलाना मुश्किल है। इसलिए मजदूरी करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। नौकरी की उम्मीद में 300 रुपये की दिहाड़ी छोड़ सीएम साहब के शहर में प्रदर्शन में शामिल होने इसलिए आए कि शायद सीएम उनकी गुहार सुन लें और उनके लिए नौकरी की व्यवस्था कर दें। ये बातें फाजिल्का के पालीवाला गांव से बलदेव ¨सह ने आपबीती सुनाते हुए कही।

रविवार को राज्य भर से अध्यापकों के खाली पदों पर भर्ती होने की मांग को लेकर ईटीटी टेट पास बेरोजगार अध्यापक सीएम सिटी में सीएम आवास का घेराव करने के लिए इकट्ठे हुए थे। प्रदर्शन दौरान अध्यापकों ने शहरवासियों को सरकार की शिक्षा विरोधी नीतियां बताते हुए भीख मांगते हुए करीब 450 रुपये जुटाए। जिन्हें वो सोमवार को सरकारी खजाने में जमा करवाएंगे।

नेहरू पार्क से मार्च शुरू किया जो लाहौरी गेट से होते हुए शहरवासियों से भीख मांगते हुए शेरावाला गेट से फव्वारा चौक पहुंचा। फव्वारा चौक से करीब 10 मीटर पहले पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर उन्हें रोक लिया और करीब एक घंटे तक रोड जाम कर अध्यापकों ने प्रदर्शन किया। जहां नायब तहसीलदार परमजीत ¨जदल को मांगपत्र देने के बाद धरना समाप्त किया।

पिता की मौत के बाद लेबर कर चला रहे परिवारा का गुजारा

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मानसा के गुरने कलां गांव के गुर¨वदर ¨सह ने बताया कि मैं गरीब परिवार से संबंधित हूं, पिता ने जैसे तैसे उन्हें पैसे खर्च कर पढ़ाया। पिता चाहते थे कि उनका बेटा अध्यापक बनें और गरीब स्टूडेंट्स को मुफ्त शिक्षा दे। पिता का सपना पूरा करने के लिए 2008 में ईटीटी की और 2017 मे टीईटी टेस्ट पास किया। लेकिन इस सबके बावजूद नौकरी नहीं मिली और पिता की भी पिछले साल मौत हो गई। अब परिवार का गुजारा चलाने के लिए मजबूरीवश लेबर करनी पड़ रही है।

ईटीटी कर टेट पास किया।

विकलांगता का मजाक उड़ा रही पंजाब सरकार

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अबोहर से पैरों से दिव्यांग पृथ्वी राम ने बताया कि बचपन से चलने से समर्थ हैं। सोचा था विकलांगता के कारण अपने सपने पूरे होने से नहीं रुकने देंगे। इसी मकसद से ईटीटी के बाद अध्यापक योग्यता परीक्षा पास की। परिवार की वित्तीय स्थिति भी कुछ ज्यादा ठीक नहीं हैं। जिस कारण विकलांग होने के बावजूद व्हीलचेयर पर प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आए हैं ताकि सरकार को कुछ शर्म आए प्रदर्शन दौरान पृथ्वी की हालत भी बिगड़ गई थी। चक्कर और उल्टियों की शिकायत होने के बावजूद वो आखिर तक प्रदर्शन में शामिल रहे।


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