महिलाओं की मनोदशा दर्शाता है नाटक बोदी वाला तारा
नार्थ जोन कल्चरल सेंटर (एनजेडसीसी) की ओर से कालीदास ऑडिटोरियम विरसा विहार केंद्र में 10 अप्रैल तक चलने वाले पटियाला नाट्य महोत्सव के दसवें दिन फिल्म अभिनेता राणा जंग बहादुर के लिखित और परमिदर पाल कौर के निर्देशित नाटक बोदी वाला तारा का सफल मंचन किया गया।
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जेएनएन. पटियाला
नार्थ जोन कल्चरल सेंटर (एनजेडसीसी) की ओर से कालीदास ऑडिटोरियम विरसा विहार केंद्र में 10 अप्रैल तक चलने वाले पटियाला नाट्य महोत्सव के दसवें दिन फिल्म अभिनेता राणा जंग बहादुर के लिखित और परमिदर पाल कौर के निर्देशित नाटक बोदी वाला तारा का सफल मंचन किया गया। सदियों से लेकर आज तक की महिलाओं की मनोदशा को नाटक में बखूबी पेश किया गया।
बॉलीवुड और पॉलीवुड फिल्म अभिनेता राणा जंग बहादुर के लिखित इस नाटक में मालवा की मिट्टी की महक आती है। नाटक में मुख्य किरदार कंती (पूजा) अपने पति से प्यार पाने की चाह रखती है। पर वह हमेशा उसको दुत्कारता रहता है। कंती को सास अपनी बहू को पाखंडी साधु (एमएम स्याल) के पास ले जाती है, ताकि उसकी बहू वरदान से बच्चे को जन्म दे। परंतु कंती साधु की हवस का शिकार होने से बच जाती है। परंतु कंती समाज की ओर से बांझ कहे जाने के तानों से निजात भी पाना चाहती है। वहीं दूसरी तरफ परिवार के दोनों भाई जमीन के लालच में लड़ने लग जाते हैं। झगड़े दौरान एक भाई का कत्ल हो जाता है। इस दौरान कंती पर कई तरह से जुल्म भी होते हैं। वह अपने अरमानों का गला घोंटती रहती है। नाटक में महिला के जीवन में आने वाले उतार चढ़ाव को बेहद संजीदगी से पेश किया गया है।
नाटक में छोटी प्रभजोत कौर, देवा संजीव राय, निरंजन चंदन बलौच, सत्या रुप कौर संधू, सुच्चा सिंह राजेश शर्मा, भजन कौर कर्मजीत कौर, बंसो अंजू सैनी, छज्जू अमनदीप सिंह, जागर सुरजीत, साधु का चेला गोपाल शर्मा, गिद्दा पुनीत, साहिबां व मान्या का किरदार निभाया। संगीतकार हरजीत गुड्डू के संगीत में डॉ. हरिदर हुंदल व भवनप्रीत कौर ने गीत गाकर नाटक को यादगार बना दिया।