विदुर नीति को छोड़ धृतराष्ट्र का अनुसरण कर रहे लोग : दिवेशा
श्री महावीर मंदिर कारखास कॉलोनी के सामने डिवीजन नंबर 4 पटियाला में सात दिवसीय 23वां श्रीमद् भागवत कथा सत्संग समारोह का आयोजन करवाया जा रहा है।
जेएनएन पटियाला
श्री महावीर मंदिर कारखास कॉलोनी के सामने डिवीजन नंबर 4, पटियाला में सात दिवसीय 23वां श्रीमद् भागवत कथा सत्संग समारोह का आयोजन करवाया जा रहा है। कथा के तीसरे दिन दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की साध्वी दिवेशा भारती ने विदुर नीति को मानव समाज के समक्ष उजागर किया। उन्होंने कहा कि विदुर कौरवों के बीच में रहकर भी धर्म के अनुगामी बने रहे। लेकिन आज का मानव समाज सांसारिक भोग पदार्थों में इतना मगन हो गया है कि अपने लक्ष्य परमपिता परमात्मा को भूल गया है। यही हालत धृतराष्ट्र की थी। आज विदुर को प्रेरणा स्त्रोत बनाने के स्थान पर मानव समाज धृतराष्ट्र का अनुगामी होता दिखाई दे रहा है। भगवान शिव व सती प्रसंग के अंतर्गत कथा में मानव समाज को समझाते हुए उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में भारत के हर क्षेत्र का आधार धर्म था। राजनीति के क्षेत्र में राज्य संपदा कभी भी किसी धर्म विहीन पुरुष को नहीं दी जाती, लेकिन मानव ने आज अपने जीवन के हर क्षेत्र से ही धर्म को निकाल फैंका। धर्म है क्या? ईश्वर का साक्षात्कार ही धर्म है। ईश्वर को प्राप्त किये बिना मानव में मानवता का पदार्पण हो ही नहीं सकता। इसलिए आशुतोष महाराज श्रेष्ठ समाज की स्थापना के लिए प्रत्येक व्यक्ति को बह्माज्ञान के माध्यम से ईश्वर का साक्षात्कार करा रहे हैं। यही तो एक पूर्ण गुरू की पहचान है। जो ज्ञान दीक्षा देते समय प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर ईश्वर के ज्योति रूवरूप का साक्षात्कार कर दें। इस मौके पर लक्ष्मण दास चुघ, सुभाष गखड़, शाम लाल पाहवा, परवीन मदान, विष्णु कुमार पहुजा, ओम प्रकाश सतीजा, संजय कुमार, बलदेव प्रसाद व नारायण दास सतीषा भी उपस्थित रहे।
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