दूसरों को डूबने से बचाने वाले की खुद नहर में डूबकर मौत
दूसरों को डूबने से बचाने वाले गोताखोर की खुद नहर में डूबकर मौत हो गई। मृतक गोताखोर की पहचान 28 वर्षीय सीलू कुमार निवासी सुखराम कॉलोनी के तौर पर हुई है। सीलू 11 तारीख से लापता था।
जागरण संवाददाता, पटियाला : दूसरों को डूबने से बचाने वाले गोताखोर की खुद नहर में डूबकर मौत हो गई। मृतक गोताखोर की पहचान 28 वर्षीय सीलू कुमार निवासी सुखराम कॉलोनी के तौर पर हुई है। सीलू 11 तारीख से लापता था। मंगलवार को सीलू कुमार का शव ऊपर आ गया और नहर में बहकर आगे जा रहा था। गोताखोरों द्वारा शव को पकड़ा और देखा गया तो वो सीलू कुमार का था। भोले शंकर डाइवर क्लब के प्रधान शंकर भारद्वाज ने बताया कि इस घटना से पहले भी वह रोपड़ से गुम हुए व्यक्ति की लाश ढूंढने के लिए पसियाणा नहर के पुल की बुर्जियों के नीचे जाकर चैक कर रहा था, इसी दौरान उसका पैर झाल या नहर के नीचे पड़े कबाड़ में फंस गया जिससे डूबने के कारण उसकी मौत हो गई।
सीलू पिछले करीब 10 साल से उसके साथ डाइ¨वग का काम करता था। भारद्वाज के मुताबिक सीलू अब तक सैकड़ों डूब रहे व्यक्तियों की जान बचा चुका और काफी शव भी नहर में से निकाल चुका है। शंकर भारद्वाज ने बताया कि 2013 में सर¨हद में बस नहर में गिर जाने की घटना दौरान भी सीलू की अहम भूमिका रही थी और इस दौरान भी 12 के करीब शवों को नहर में से निकाला था। बता दें कि करीब 2 साल पहले भी राजेश गोताखोर की किसी के शव को ढूंढते हुए मौत हो गई थी और उसके परिवार के लिए भी सरकार की ओर से कोई सुविधा मुहैया नहीं करवाई गई थी। कई बार गुहार लगाने के बाद भी नहीं मिली कोई सुविधा
शंकर भारद्वाज ने बताया कि कई बार लिखित में देने के बावजूद भी पंजाब सरकार की ओर से दूसरों की जान बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगाने वाले गोताखोरों के लिए किसी सुविधा का एलान नहीं किया गया। यहां तक कि सर्च आपरेशन के दौरान दुर्घटना में भी मौत होने के बावजूद गोताखोर के परिवार के लिए किसी प्रकार की वित्तीय सहायता का प्रावधान नहीं है। इस संबंधी उन्होंने डीजीपी पंजाब पुलिस, आइजी पटियाला और पंजाब सरकार के पास लिखित पत्र लिखकर बेसिक सुविधाओं और रोजगार की मांग की है लेकिन सिवाए आश्वासन के कुछ नहीं मिला। शंकर ने बताया कि सरकार की ड्यूटी बनती है कि गोताखोरों के लिए ऑक्सीजन के गैस सिलेंडर, ड्रैस और इंश्योरेंस की सुविधा मुहैया करवाई जाए, लेकिन उन्हें अब तक इसमें से कोई सुविधा प्राप्त नहीं हुई। जबकि हरियाणा सरकार द्वारा गोताखोरों के लिए नौकरी और अन्य सुविधाओं का प्रबंध है।
आजीविका के लिए अकेला कमाने वाला था सीलू
आजीविका चलाने के लिए घर में कमाने वाला सिर्फ सीलू था। जबकि उसके परिवार में पत्नी और एक तीन साल का बच्चा है। यहां तक कि वो जिस घर में रह रहे हैं वो घर भी किराए का है। सीलू की मौत के बाद घर में कमाने वाला कोई नहीं रहा। उन्होंने सरकार से मांग की कि हजारों जानें बचाने वाले सीलू के परिवार की वित्तीय सहायता करे।