धान की पराली को खेतों में ही जोत कर खेती कर रहा ज¨तदर
जिले के गांव चासवाल के किसान ज¨तदर ¨सह ने अपनी 40 एकड़ जमीन में धान की कटाई के बाद परा8ी को खेतों में ही वाह कर अपने खेतों की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाया है।
जेएनएन, नाभा पटियाला
जिले के गांव चासवाल के किसान ज¨तदर ¨सह ने अपनी 40 एकड़ जमीन में धान की कटाई के बाद परा8ी को खेतों में ही वाह कर अपने खेतों की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाया है। वहीं खर्च किए में भी कमी आने का दावा किया है। इस बारे बात करते गांव चासवाल के प्रगतिशील किसान ज¨तदर ¨सह ने बताया कि सरकार की तरफ से वातावरण की संभाल संबंधित शुरू की जागरूकता मुहिम से प्रभावित होकर उसने पिछले दो सालों के दौरान अपने खेतों में आग नहीं लगाई और इसका उसको काफी सार्थक नतीजे सामने आए हैं।
ज¨तदर ¨सह ने बताया कि उसने डी फार्मेसी करने के बाद अपने पिता पुरखी पेशे कृषि को अपनाया और अपनी 40 एकड़ जमीन में खेती करनी शुरू की परंतु उसने महसूस किया कि धान की कटाई के बाद बची अवशेष को आग लगाने साथ जो वातावरण का नुक्सान होता है वह धान की फसल से कमाए पैसों के साथ भी दुरुस्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि इसके बाद उसने मन बनाया कि वह धान की पराली को आग नहीं लगाएगा परंतु दूसरे किसानों ने कहा कि पराली को आग न लगा कर खर्च में विस्तार होगा, झाड़ में कमी भी आएगी और कई अन्य मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। परन्तु उसने देखा कि पराली को खेतों में ही वाह कर जहां खर्च किए में कमी आई वहीं झाड़ में भी कोई कमी नहीं आई और किसी भी किस्म की मुश्किल का भी सामना नहीं करना पड़ा । ज¨तदर ¨सह ने बताया कि पराली को खेतों में वाहने का सफल तजुर्बे के बाद उसके कई रिश्तेदारों ने और गांववालों ने भी इसको अपनाया है और पराली को खेतों में वाह कर संतुष्टि जाहिर की है।