इस बार शहर में तीन स्थानों पर होगी छठ पूजा
दशहरे के दिन अमृतसर में हुए रेल हादसे के दौरान सैकड़ों लोगों की जान जाने के कारण इस बार छठ पूजा को लेकर डीजल माडर्नाइजेशन लोकोमोटोटिव वर्कशाप (डीएमडबल्यू) प्रशासन सख्त है । ऐसे में 13 व 14 को होने वाली छठ पूजा डीएमडबल्यू के साथ-साथ फोक्ल प्वाइंट एवं बाजवा कालोनी में भी होगी ।
जागरण संवाददाता, पटियाला
दशहरे के दिन अमृतसर में हुए रेल हादसे के दौरान सैकड़ों लोगों की जान जाने के कारण इस बार छठ पूजा को लेकर डीजल माडर्नाइजेशन लोकोमोटोटिव वर्कशाप (डीएमडब्ल्यू) प्रशासन सख्त है। ऐसे में 13 व 14 को होने वाली छठ पूजा डीएमडब्ल्यू के साथ-साथ फोकल प्वाइंट एवं बाजवा कॉलोनी में भी होगी ।
महिलाएं होंगी शामिल
हालांकि डीएमडब्लयू प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर डीएमडब्ल्यू परिसर के भीतर छठ पूजा करने के लिए केवल रेलवे एवं डीएमडब्ल्यू मुलाजिमों के परिवारों को ही मंजूरी दी है, लेकिन फिर भी कुछ बाहरी महिलाएं इसमें शामिल हो सकेंगी। उनके साथ कोई पुरुष या अन्य सदस्य भीतर पूजा करने के लिए नहीं जा सकेगा। ऐसे में डीएमडब्ल्यू में पूजा करने के लिए जाने वाले बाहरी लोगों ने छठ पूजा के लिए फोकल प्वाइंट सहित बाजवा कॉलोनी में छठ पूजा के लिए अस्थाई तौर पर स्थान तैयार किए हैं । बाहरी लोगों की अगुवाई कर रहे पवन कुमार मंडल का कहना है कि इस बार छठ पूजा करने के लिए काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। 13 नवंबर को दोपहर तीन बजे से पूजा शुरू होगी और पूजा का मुख्य समय सूर्यास्त के समय जब पूजा करने वाले लोग पानी में उतर जाते हैं। उसके बाद 14 नवंबर को सुबह के समय सूर्य निकलने के समय पूजा होगी । वे बताते है कि इस बार उन्होंने छठ पूजा के लिए पूजा करने के लिए फोकल प्वाइंट एवं बाजवा कॉलोनी में अस्थाई तौर पर इंतजाम किया है। आगामी साल से कोई पक्का स्थान बनाएंगे, ताकि रेलवे व डीएमडब्ल्यू के अलावा बाहरी लोग वहां पर आकर पूजा कर सकें। अगर वहां पर रेलवे व डीएमडब्ल्यू के मुलाजिम भी आएंगे तो उनका भी स्वागत करेंगे ।
बिहार जनकल्याण समिति के मुख्य सलाहकार एके ¨सह व महासचिव देव प्रकाश बताते हैं कि इस बार डीएमडब्ल्यू प्रशासन ने डीएमडबल्यू के भीतर होने वाली छठ पूजा के लिए केवल रेल कर्मचारी एवं उनके परिवार के सदस्यों को ही भीतर आकर पूजा करने की मंजूरी दी है । बीते 30 सालों से झील में होने वाली छठ पूजा में बिहार, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के लोग शिरकत करते हैं। झील के एक हिस्से में पानी का इंतजाम किया जाता है जहां पर दो से ढाई हजार लोग पूजा करने पहुंचते हैं ।