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बैं¨कग चार्जेज कैशलेस में रुकावट : व्यापारी

बैं¨कग चार्जेज का दायरा जल्द ही बढ़ाया जा सकता है। इन चार्जेज को उद्योग जगत व व्यापारी वर्ग कैशलेस अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी रुकावट मान रहा है। वहीं, बैंक कर्मचारी संगठन भी इसका विरोध करने का मन बना चुके हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Jan 2018 03:15 AM (IST)Updated: Thu, 11 Jan 2018 03:15 AM (IST)
बैं¨कग चार्जेज कैशलेस में रुकावट : व्यापारी
बैं¨कग चार्जेज कैशलेस में रुकावट : व्यापारी

जागरण संवाददाता, पटियाला

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बैं¨कग चार्जेज का दायरा जल्द ही बढ़ाया जा सकता है। इन चार्जेज को उद्योग जगत व व्यापारी वर्ग कैशलेस अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी रुकावट मान रहा है। वहीं, बैंक कर्मचारी संगठन भी इसका विरोध करने का मन बना चुके हैं। हालांकि अभी तक बैंकों को सर्कुलर जारी नहीं हुआ है, लेकिन बैंक अधिकारी भी यह मान रहे हैं कि चार्जेज का दायरा बढ़ने जा रहा है।

चार्जेज का दायरा बढ़ाने के पीछे बैं¨कग सेक्टर पर पड़ रहे आर्थिक बोझ से निपटना माना जा रहा है। हालांकि व्यापारी वर्ग व विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि बैकों पर पड़ रहे आर्थिक बोझ का कारण एनपीए अकाउंट हैं, इनसे निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। बैं¨कग चार्जेज का दायरा बढ़ने से कैशलेस सिस्टम पर सीधा असर पड़ेगा, व्यापारी वर्ग कैशलेस सिस्टम की ओर बढ़ रहा था, वह इससे परहेज करने लगेगा। क्योंकि कैशलेस सिस्टम के कारण लगने वाले चार्जेज से उस पर आर्थिक बोझ पड़ेगा और उसकी उत्पादन लागत और पर्चेज कॉस्ट बढ़ेगी। इसका सीधा असर उसके मुनाफे पर पड़ेगा।

चार्जेज दायरा बढ़ने से व्यापारी वर्ग सीधे तौर पर प्रभावित : नरेश

इंडस्ट्रीयलिस्ट नरेश गुप्ता इसे फियर फैक्टर मानते हैं। वह कहते हैं कि बैंक स्टेटमेंट, साइन वेरिफिकेशन, डीडी, ईसीएस, आरटीजीएस, एनईएफटी, केवाइसी अपडेट, नेट बैं¨कग जैसी कई सर्विस पर चार्जेज का दायरा बढ़ाने से व्यापारी वर्ग सीधे तौर पर प्रभावित होगा। खर्च बढ़ने से मार्जिन घटेगा, मार्जिन गैप मैनटेन रखने पर महंगाई बढ़ेगी। नकदी की जमा और निकासी पर चार्ज लगने का असर सिर्फ ट्रेडर्स पर ही नहीं हर नागरिक पर पड़ेगा। इससे रूटीन बैं¨कग प्रभावित होगी और ट्रेडर्स कैशलेस सिस्टम के विकल्प तलाशने पर मजबूर हो सकते हैं। इस तरह की बैंकिंग पॉलिसी का उचित मंच पर उद्योग जगत विरोध करेगा।

बैंकों की ओर से काफी चार्जेज पहले ही बढ़ा लिए जाते हैं : त्रिभुवन

व्यापारी त्रिभुवन गुप्ता बैंकिंग चार्जेज का दायरा बढ़ाने को चुभने वाला मानते हैं। हालांकि उनका कहना है कि नए सिस्टम को स्वीकार करने में थोड़ा समय लगता है। त्रिभुवन गुप्ता कहते हैं कि काफी चार्जेज बैंकों द्वारा पहले भी लिए जाते हैं, अब उनका दायरा बढ़ाने के साथ उनमें इजाफा हो सकता है। जो व्यापारी वर्ग के लिए कुछ मुश्किल पैदा करेगा। पिछले सालों के दौरान बैं¨कग सुविधाओं में काफी इजाफा हुआ है, इसलिए उन पर चार्ज लगाना बैंकों का फैसला है। लेकिन यह शुरूआती दौर में चार्जेज की दर कम रखनी चाहिए। व्यापारी वर्ग सरकार के सामने इस पर विरोध जरूर जताएगा।

बैंकिंग सेक्टर को बचाने के नाम पर इस तरह के फैसले डालेंगे विपरीत असर : यादविंदर

बैंक कर्मचारी यूनियन के नेता याद¨वदर गुप्ता चार्जेज का दायार बढ़ाए जाने को बैंक उपभोक्ताओं पर बोझ मानते हैं। बैं¨कग सेक्टर को बचाने के नाम पर लिए जा रहे इस तरह के फैसले विपरीत असर डालेंगे। बैं¨कग सेक्टर को बचाने के लिए एनपीए हो रहे अकाउंट और बड़े कॉर्पोरेट हाऊस की लोन रिकवरी के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है। याद¨वदर गुप्ता कहते हैं कि ट्रेड यूनियनें इन चार्जेज का विरोध करेंगी। यह उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ है।


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