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मैं में नहीं, हम में शक्ति ही सत्य

मैं हम पर हावी हो रहा है इसलिए समाज में अनेक कुरीतियां अपना घर बना चुकी हैं। केवल मैं और मैं की इस स्वार्थी भावना ने मनुष्य को संवेदना शून्य बना दिया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 07:50 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 07:50 PM (IST)
मैं में नहीं, हम में शक्ति ही सत्य
मैं में नहीं, हम में शक्ति ही सत्य

मैं हम पर हावी हो रहा है इसलिए समाज में अनेक कुरीतियां अपना घर बना चुकी हैं। केवल मैं और मैं की इस स्वार्थी भावना ने मनुष्य को संवेदना शून्य बना दिया है। हम खुद पर इतना केंद्रित हो गए कि इंसान तो इंसान हमने जंगली जानवरों तक को नहीं बख्शा। मैं तो अहंकार का प्रतीक है। जहां अहंकार होता है वहां सृजनात्मकता और सकारात्मकता पल्लवित और पुष्पित नहीं हो सकती। एकता में ही शक्ति है। मिलकर रहेंगे तो एक और एक ग्यारह की शक्ति साथ रहेगी नहीं तो अलग-अलग होकर बिखर जाएंगे। एक अकेला आदमी सपना तो देख सकता है, लेकिन उसे पूरा करने के लिए उसे दूसरों की जरूरत पड़ती है। ये शत-प्रतिशत सत्य है कि मैं में नहीं, हम में शक्ति है। जब मैं एक सफल व्यक्तित्व बन जाता है ऊंची सोच में जो जन-कल्याण के आए काम में मैं लग जाता है। तो मैं के साथ हम अपने आप आ जाता है। जो सोने पर सुहागा हो जाता है। जिस व्यक्ति में मैं शब्द आ जाता है वह अकेला इमारत को खड़ा नहीं कर सकता। इसलिए अभिभावकों व शिक्षकों की जिम्मेवारी बनती है कि बच्चों को मैं शब्द को दूर रखकर हम शब्द की भावना से जोड़े। हम की भावना एक टीम वर्क काम आ जाता है। एक मैं सोच को अस्तित्व में तभी लाया जा सकता है जब एक जैसी सोच रखने वाले व्यक्ति एकत्रित हो जाए। मैं एक कण की तरह है और हम सागर की शक्ति का रूप धार लेता है। अकेला व्यक्ति प्रगति करना तो दूर अस्तित्व की रक्षा भी नहीं कर सकता। अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए उसे दूसरों की जरूरत हमेशा से हो रही है। सार्वजनिक मंच पर सभी तरह की बातचीत में से ज्यादा हम का इस्तेमाल करना ज्यादा बेहतर होता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वास्तविक शक्ति हम में ही है। एकता में बल है। आज का मानव, जो धरती से परे अंतरिक्ष तक पहुंच चुका है वो यह क्यों भूल गया है कि मानव सभ्यता का विकास भी एकता के कारण ही हुआ है। आत्मिक रूप से सछ्वावना, सहयोग के भाव को सृष्टि के कल्याण के लिए प्रयोग करे। नव जीवन की सार्थकता बनेगी। राष्ट्र की उन्नति के लिए राष्ट्रवाद की भावना बहुत जरूरी है। पर एकता केवल राष्ट्रीय स्तर पर नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत जरूरी है। हमें अपने बच्चों और युवा पीढ़ी को यह पाठ पढ़ाना होगा कि संगठित होकर अपनी ऊर्जा सकारात्मक कार्यों में लगाएं।

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- हर¨मदर ¨सह, ¨प्रसिपल सेंट सोल्जर स्कूल


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