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450 अध्यापकों ने माना फैसला, शिक्षा विभाग ने सौंपी ऑर्डर की कॉपिया

फुल पे-स्केल पर रेगुलर होने के लिए सीएम सिटी में पक्का मोर्चा लगाकर बैठे अध्यापकों में से करीब 450 अध्यापकों ने विभाग का फैसला मानते हुए 15000 रुपये पर रेगुलर होने के लिए ऑनलाइन ऑपशन अडॉप्ट कर ली है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Oct 2018 12:21 AM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 12:21 AM (IST)
450 अध्यापकों ने माना फैसला, शिक्षा विभाग ने सौंपी ऑर्डर की कॉपिया
450 अध्यापकों ने माना फैसला, शिक्षा विभाग ने सौंपी ऑर्डर की कॉपिया

जागरण संवाददाता, पटियाला

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फुल पे-स्केल पर रेगुलर होने के लिए सीएम सिटी में पक्का मोर्चा लगाकर बैठे अध्यापकों में से करीब 450 अध्यापकों ने विभाग का फैसला मानते हुए 15000 रुपये पर रेगुलर होने के लिए ऑनलाइन ऑपशन अडॉप्ट कर ली है। इनमें से कई अध्यापकों को देर शाम तक शिक्षा आधिकारियों ने मुख्य दफ्तर में परिवारों के साथ पहुंचे अध्यापकों को बीती एक अप्रैल से शिक्षा विभाग में शामिल होने के आदेश जारी कर दिए गए। अध्यापकों को आर्डर की कापियों इंद्रजीर्त ंसह डीपीआइ एलिमेंट्री शिक्षा कम डायरेक्टर राज्य शिक्षा खोज और प्रशिक्षण परिषद पंजाब की तरफ से सौंपी गई।

वहीं अध्यापक साझा मोर्चा के नेता इसे केवल गुमराह करने की कोशिश करार दे रहे हैं। अध्यापक साझा मोर्चा का तर्क है कि अध्यापकों को गुमराह करने के लिए ऐसा दिखावा किया जा रहा है। अध्यापक अपने हक लिए बिना पीछे नहीं हटेंगे और मागें ना माने जाने तक संघर्ष जारी रहेगा। अध्यापकों को शिक्षा विभाग में शामिल होने पर इंद्रजीर्त ंसह ने बधाई देते हुए बताया कि संबंधित समूह जिला शिक्षा अफसरों को उनकी हाजरी रिपोर्ट के लिए प्रक्त्रिया को सुखदायक ढंग के साथ पूरा करने के लिए सचिव स्कूल शिक्षा पंजाब कृष्ण कुमार की तरफ से दिशा निर्देश दिए गए हैं।

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अध्यापकों को गुमराह करके सरकार और सेक्त्रेटरी अध्यापकों का संघर्ष खत्म करना चाहते हैं। असल में जिन अध्यापकों ने ये ऑपशन अडॉप्ट की है। उसमें 3582 में भर्ती हुए एसएसए रमसा अध्यापकों को दोबारा ज्वाइन करवाकर दिखावा करके गुमराह किया जा रहा है। जबकि जून में इन अध्यापकों को 3582 के तहत ज्वार्इंनग लेटर मिल चुके हैं। इन अध्यापकों की पोस्टिंग 10,300 पर बार्डर एरिया में की जानी थी, इसलिए उन्हें अपने ही स्कूलों में 15000 रुपये का लालच देकर एसएसए रमसा में भर्ती होने का दिखावा किया जा रहा है। लेकिन अध्यापक इससे गुमराह न हों और ऑप्शन को अडॉपट ना करते हुए अपने हक मिलने तक संघर्ष जारी रखें।


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