प्राचीन शिव मंदिर नलास में एक लाख महिलाएं करेंगी कलश परिक्रमा
राजपुरा (पटियाला) प्राचीन शिव मंदिर नलास में महाशिवरात्रि पर आज से मेला शुरू होगा। इस मेले मे हर वर्ष देश-विदेश से लाखों लोग पहुंचते हैं।
प्रिस तनेजा, राजपुरा (पटियाला)
प्राचीन शिव मंदिर नलास में महाशिवरात्रि पर आज से मेला शुरू होगा। इस मेले मे हर वर्ष देश-विदेश से लाखों लोग पहुंचते हैं। मेले में करीब दस लाख श्रद्धालु नतमस्तक होंगे और हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी करीब एक लाख महिलाओं के क्लश परिक्रमा के लिए विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। मंदिर कमेटी ने क्लश परिक्रमा के लिए अलग से शिवलिग व मंदिर की स्थापना करवाई है, वही स्वयं प्रकट होने वाले शिवलिग के बने मंदिर में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए 100 से ज्यादा बैरीकेड लगाए गए हैं, ताकि उन्हें कोई परेशानी ना हो। इसके लिए पुलिस बल के सैकड़ों जवान मुस्तैद रहेंगे। वहीं एक हजार के करीब भोले बाबा की फौज के सेवादार भी हर वक्त चौकस और श्रद्धालुओं को हर समस्या से निजात दिलवाएंगे। सुरक्षा के मद्देनजर मंदिर कमेटी ने सीसीटीवी कैमरों का भी प्रबंध किया है। मंदिर कमेटी के सेवादार महिदर अरोड़ा ने बताया की मंदिर सभा 24 घंटे तक लंगर की सेवा व मेडिकल सुविधा भी जारी रहेगी। जहां एक समय में पचास हजार श्रद्धालुओं के बैठने की भी व्यवस्था की गई है। मंदिर कमेटी व प्रशासन ने श्रद्धालुओं की आस्था व समय को देखते हुए दंडवत करने वालों के लिए अलग से रास्ता बनाकर मंदिर में प्रवेश करवाने की व्यवस्था बनाई गई है। ऐतिहासिक शिव मंदिर में स्थापित है 140 फीट ऊंचा त्रिशूल
राजपुरा से करीब आठ किलोमीटर दूर स्थित गांव नलास में 550 वर्ष पुराना प्राचीन शिव मंदिर है। इसमें हर चौदस, महाशिवरात्री व श्रावण माह में विशेष मेले लगाया जाता है। मंदिर के मुख्य सेवादार महंत लाल गिरी महाराज ने बताया कि उतर भारत के सबसे प्रसिद्ध हिदू धार्मिक स्थान श्री शानालेश्वर महादेव शिव मंदिर नलास में पिछले वर्ष स्टील से बने 140 फीट ऊंचे त्रिशूल को स्थापित किया गया है। इसी स्थान पर भगवान शिवजी की 108 फुट उंची मूर्ति स्थापित की गई है। मंदिर के प्रांगण में लगे 550 वर्ष पुराने बोहड़ के वृक्ष पर जो भी शिव भक्त लाल धागा (मौली) बांधकर मन्नत मांगते हैं और आस्था है कि ऐसा करने से इच्छा पूरी होती है। स्वयं प्रकट हुआ था शिवलिग
मान्यता है कि शिव मंदिर नलास में शिवलिग किसी श्रद्धालु ने स्थापित नहीं किया, बल्कि स्वयं प्रकट हुआ था। गांव नलास में गुज्जरों के कुछ घर थे। उनके पास एक कपिला गाय थी। जब वह जंगल में चरने जाती थी तो घर वापस आने से पहले एक झाड़ी के पीछे जाने से उसका दूध अपने आप थनों से निकलना शुरू हो जाता था। वह थन खाली होने के बाद ही वापस घर आती थी। एक दिन कपिला गाय के मालिक गुज्जर ने क्रोध में आकर उस झाड़ी की खुदाई शुरू कर दी। खुदाई करते समय वहां निकले शिवलिग पर कस्सी के प्रहार से खून की धार बहनी शुरू हो गई। कहा जाता है कि उस समय वट वृक्ष के नीचे स्वामी कर्मगिरी जी तपस्या कर रहे थे तो उनकी तपस्या भंग हो गई। उन्होंने उस वक्त पटियाला रियासत के महाराजा कर्म सिंह को सारी बात बता उक्त जगह की खुदाई करवाई तो वहां पर शिवलिग प्रकट हुआ था। महाराजा पटियाला ने अपने हाथों से मंदिर बनवाया व महंत कर्मगिरी को मंदिर का महंत नियुक्त किया था।