कल तक रेगुलर नहीं किया तो छत से लगा देंगे छलांग
रा¨जदरा अस्पताल की छत पर चढ़े नर्सिंग, एनसिलरी व फोर्थ क्लास इंप्लाईज के तीन सदस्य आज डीआरएमई के साथ हुई बातचीत के बाद भी नीचे नहीं उतरे । आंदोलनकारियों का कहना है कि जब तक उनको रैगुलर होने का लिखित पत्र नहीं मिलता तब तक वे छत से नीचे नहीं उतरेंगे । छत पर उनके साथ बातचीत करने के लिए डीएसपी योगेश शर्मा भी गए थे, लेकिन सदस्यों ने उनकी भी बात नहीं मानी । नेताओं ने छत से नीचे छलांग लगाने की चेतावनी भी दी है ।
जागरण संवाददाता, पटियाला : रा¨जदरा अस्पताल की छत पर चढ़े नर्सिग, एनसिलरी व फोर्थ क्लास इंप्लाइज के तीन सदस्य शनिवार को डीआरएमई के साथ हुई बातचीत के बाद भी नीचे नहीं उतरे। आंदोलनकारियों का कहना है कि जब तक उनको रेगुलर होने का लिखित पत्र नहीं मिलता तब तक वे छत से नीचे नहीं उतरेंगे। छत पर उनके साथ बातचीत करने के लिए डीएसपी योगेश शर्मा भी गए थे, लेकिन सदस्यों ने उनकी भी बात नहीं मानी। नेताओं ने छत से नीचे छलांग लगाने की चेतावनी भी दी।
चार सदस्य मरणव्रत पर और चार ने भूख हड़ताल पर
यूनियन के तीन सदस्य रा¨जदरा अस्पताल के मेडिकल सुप¨रटेंडेंट डॉ. राजन ¨सगला के आफिस की छत पर चढ़े हुए हैं। इसमें कर्मजीत कौर औलख, बलजीत कौर खालसा व सतपाल ¨सह हैं। चार सदस्य अस्पताल में भूख हड़ताल पर बैठे हैं। शनिवार को सेहत विभाग के अधीन अमृतसर में काम करने वाले कांट्रेक्ट कर्मचारी भी पटियाला में समर्थन करने के लिए आए। इस दौरान छत पर बैठे मुलाजिम नेताओं के साथ नर्सिंग स्टाफ से पल्लवी, बल¨वदर कौर, फोर्थ क्लास से प्रधान रीटा रानी ने चेतावनी दी है कि अगर 11 फरवरी तक उनको रेगुलर करने का आदेश जारी नहीं किया गया तो सदस्य छत से छलांग लगाने से भी गुरेज नहीं करेंगे ।
प्रस्ताव बनाकर सेहत सचिव के पास भेज रहे : डीआरएमई
डॉयरेक्टर रिसर्च एंड मेडिकल एजुकेशन (डीआरएमई) डॉ. अवनीश ने बताया कि वे आज नर्सिंग स्टाफ के साथ बातचीत करने के लिए गए थे और उनके साथ बातचीत भी की है, लेकिन वे अपनी पक्के करने की मांग पर अड़े हुए हैं। इसलिए वे छत से नीचे नहीं उतरे। दो दिन पहले नर्सिंग स्टाफ का एक प्रतिनिधिमंडल सेहत मंत्री ब्रह्म म¨हदरा व अन्य अधिकारियों को मिलकर आया है। उनको उक्त कांट्रेक्ट मुलाजिमों को कैसे पक्का किया जा सकता है के बारे में प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा गया था। वे सोमवार को एक प्रस्ताव बनाकर सेहत सचिव को देकर आएंगे। अंतिम फैसला उच्चाधिकारियों सहित सरकार ने करना है। उनको जैसा आदेश दिया जाएगा वे उस पर अमल करेंगे।