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श्राद्ध के बाद नहीं, इस बार नवरात्र एक महीने बाद

पटियाला हर साल की तरह श्राद्ध पक्ष खत्म होते ही शरद ऋतु के नवरात्र नहीं होंगे बल्कि इस बार नवरात्र अगले माह 17 अक्तूबर से शुारू होंगे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 11:54 PM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 11:54 PM (IST)
श्राद्ध के बाद नहीं, इस बार नवरात्र एक महीने बाद
श्राद्ध के बाद नहीं, इस बार नवरात्र एक महीने बाद

जागरण संवाददाता, पटियाला : हर साल की तरह श्राद्ध पक्ष खत्म होते ही शरद ऋतु के नवरात्र नहीं होंगे, बल्कि इस बार नवरात्र अगले माह 17 अक्तूबर से शुारू होंगे। इसका कारण 18 सितंबर से लेकर 16 अक्तूबर तक का मलमास (अधिक मास) का आना है। वैसे यह मास हर तीन साल के बाद आता है, लेकिन इस बार श्राद्ध के तुरंत अगले दिन यह मास 19 साल के बाद आया है, जिसके चलते नवरात्र सहित सभी त्योहार एक महीना देरी से आएंगे। अब नवरात्र 17 अक्तूबर से

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श्री काली देवी जी मंदिर के पुजारी पंडित कालीकांत झा ने बताया कि इस महीने को मलमास के तौर पर जाना जाता है। इस दौरान कोई भी शगुन का कार्य नहीं होता और न ही इसमें कोई त्योहार मनाया जाता है। वैसे यह मास हर तीन साल के बाद आता है और वो श्राद्ध से पहले किसी भी महीने में आ जाता है और उस साल भी सभी त्योहार एक महीना लेट हो जाते हैं, लेकिन उस वक्त लोगों को इसकी जानकारी नहीं मिलती। इस बार यह मास श्राद्ध के ठीक दूसरे दिन से शुरू हो रहा है। कालीकांत बताते हैं कि श्राद्ध से ठीक एक दिन बाद मलमास शुरू होना 2001 यानि 19 साल पहले आया था। वैसे यह मास भगवान विष्णु जी को बहुत प्रिय होता है, लेकिन इस मास में कोई शगुन का कार्य नहीं होता और न ही कोई त्योहार मनाया जाता है। इस लिए नवरात्र 17 अक्तूबर से शुरु होंगे, 10वें दिन दशहरा व 20 दिन के बाद दीवाली मनाई जाएगी। इन दिनों में शुरु हो जाती हैं तैयारियां

पंडित कालीकांत कहते है कि श्राद्ध के अंतिम दिनों में श्री काली देवी जी के मंदिर में नवरात्र की तैयारियां जोरों पर होती हैं। मंदिर को लाइटों से सजाया जाता है और श्रद्धालुओं की सुविधाओं सहित सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं। पटियाला वासियों के साथ-साथ माता के भक्तों में नवरात्रों को लेकर काफी खुशी होती है और मंदिर में मेला लगता है, लेकिन इस बार माहौल कुछ और है। क्या है मल मास

हिदू पंचाग के मुताबिक मलमास का आधार सूर्य व चंद्रमा के साल के साथ है। सूर्य वर्ष 365 दिन और छह घंटे का होता है, जबकि चंद्रमा वर्ष 354 दिनों का होता है। इन दोनों के वर्ष में 11 दिन का अंतर है और यह अंतर तीन साल में एक महीने के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल के बाद एक चंद्र मास आता है जिसे मलमास के तौर पर जाना जाता है। इस मास के अधिपति पुरुषोत्तम भगवान विष्णु को कहा जाता है।


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