नई शिक्षा नीति से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान बनाएगा भारत
फतेहगढ़ साहिब साढ़े तीन दशक बाद सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति का शिक्षाविदों ने स्वागत किया है।
धरमिदर सिंह, फतेहगढ़ साहिब
साढ़े तीन दशक बाद सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति का शिक्षाविदों ने स्वागत किया है। इस नीति से भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान बनाएगा। इससे देश का हर छात्र आत्मनिर्भर बनेगा। इस नीति को लेकर क्षेत्र के शिक्षाविदों से बातचीत की गई। सभी ने इसका स्वागत करते हुए इसे देश के विकास में प्रगतिशील कदम करार दिया। लंबे समय से सुधार की अहम जरूरत थी : डॉ. प्रितपाल
श्री गुरु ग्रंथ साहिब विश्व यूनिवर्सिटी के चांसलर डा. प्रितपाल सिंह ने कहा कि लंबे समय से इस सुधार की अहम जरूरत महसूस की जा रही थी। उम्मीद है कि नई शिक्षा नीति न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लेकर आएगी बल्कि भारत के शिक्षण संस्थाओं को विश्व स्तरीय बनाने में सार्थक सिद्ध होगी। सरकार को इन सुधारों के लिए उचित ढांचा व बजट भी मुहैया करना चाहिए ताकि इस संबंधी सार्थक नतीजे हासिल किए जा सकें। उच्च शिक्षा में प्रमुख सुधारों की वकालत करती है नीति : डा. जोरा
देशभगत यूनिवर्सिटी के चांसलर डा. जोरा सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में हमारे समाज के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को प्रभावित करने वाले संभावित दीर्घकालिक प्रभाव पैदा करने की क्षमता है। यह नीति उच्च शिक्षा में प्रमुख सुधारों की वकालत करती है। यह कई मोर्चों पर सही दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है। यह शिक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने के लिए एक स्वागत योग्य कदम है। देश की ताकत बनेगी शिक्षा नीति : डॉ. कश्मीर
माता गुजरी कॉलेज के डायरेक्टर प्रिसीपल डॉ. कश्मीर सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति देश की ताकत बनेगी। विदेशों की तर्ज पर भारत में बच्चों की रुचि प्राइमरी शिक्षा के दौरान सामने आएगी। इससे बच्चे व अभिभावक दुविधा में नहीं रहेंगे। चार वर्ष की डिग्री से भारतीय छात्रों की यह डिग्री विदेशी डिग्री के समान होगी। मातृ भाषा पर बच्चों की होगी पकड़ : प्रो. संधू
माता गुजरी कॉलेज कामर्स विभाग के मुखी प्रोफेसर डॉ. बिक्रमजीत सिंह संधू ने कहा कि नई शिक्षा नीति से बच्चों की मातृ भाषा पर पकड़ बनेगी। इससे एआईसीटी और यूजीसी को मर्ज करके एक रेगुलेटरी बॉडी बनेगी। जिससे तकनीकी कोर्सों को लेकर कालेजों की प्रक्रिया आसान होगी। इस नीति से केंद्रीय स्तर पर एचआरडी की जगह पर शिक्षा मंत्रालय बनेगा। नई नीति के अनुसार यदि कोई एक साल पढ़ाई करता है तो सर्टिफिकेट लेने के योग्य होगा। दो वर्ष की पढ़ाई पर डिप्लोमा ले सकता है। यही नहीं पढ़ाई बीच में छोड़ विदेश जाने वाले छात्र वापस आकर वहीं से पढ़ाई शुरू कर सकते हैं। इस नीति के तहत पढ़ाई में प्रैक्टिकल पर ज्यादा जोर होगा। आत्म निर्भर बनेंगे छात्र : प्रिसीपल अंजू
एमजी अशोका कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्रिसिपल अंजू कौड़ा ने कहा कि नई शिक्षा नीति में वोकेशनल एजुकेशन पर जोर दिया जाएगा। इससे बच्चे आत्म निर्भर बनेंगे। आठवीं से ही बच्चों को विषय चुनने का अधिकार मिलेगा। नई नीति से बच्चों पर पढ़ाई का बोझ कम होगा और प्रैक्टिकल अनुभव बच्चों के भविष्य में सहायक सिद्ध होगा।